जानिए हरियाली तीज व्रत की कथा

सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हर साल हरियाली तीज (Hariyali Teej) का व्रत रखा जाता है

Update: 2022-07-30 05:29 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क।    सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हर साल हरियाली तीज (Hariyali Teej) का व्रत रखा जाता है. इस बार हरियाली तीज का व्रत रविवार 31 जुलाई 2022 को रखा जाएगा. हरियाली तीज का व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति के दीर्घायु की कामना के लिए रखती है. इस व्रत को करने से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है और दांपत्य जीवन सुखमय होता है. वहीं कुंवारी कन्याएं यदि इस व्रत को करती हैं तो उन्हें योग्य वर की प्राप्ति होती है. हरियाली तीज के दिन महिलाएं साज-श्रृंगार करती हैं और नए वस्त्र पहनती हैं. हरियाली तीज पर भगवान शिवजी और माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है. सही विधि और शुभ मुहूर्त में हरियाली तीज की पूजा करने से शिवजी और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है. लेकिन इस बात का विशेष ध्यान रखें कि हरियाली तीज की पूजा में इससे संबंधित व्रत कथा जरूर पढ़ें या सुनें, तभी व्रत सफल माना जाता है. दिल्ली के आचार्य गुरमीत सिंह जी से जानते हैं हरियाली तीज की व्रत कथा के बारे में.

हरियाली तीज व्रत कथा (Hariyali Teej Vrat Katha)
कथा के अनुसार, भगवान शिव ने माता पार्वती को उनके पूर्वजन्म का स्मरण कराते हुए कहा- हे पार्वती! तुमने पूर्वजन्म में मुझे पति के रूप में प्राप्त करने लिए कठोर तपस्या की. हिमालय पर अन्न-जल का त्याग कर तुमने सभी ऋतुओं का कष्ट सहा. एक दिन नारद मुनि तुम्हारे घर पधारे और उन्होंने तुम्हारे पिता पर्वतराज को बताया कि विष्णुजी आपकी कन्या पार्वती की कठोर तपस्या से अति प्रसन्न हुए और वे उनसे विवाह करना चाहते हैं. मैं विष्णुजी के भेजने पर आया हूं.
नारद मुनि की यह बात सुनकर तुम्हारे पिता के चेहरे पर मुस्कान आ गई और वे प्रसन्न हुए. उन्होंने तुरंत इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया. उन्होंने नारद जी से कहा कि वे अपनी पुत्री पार्वती का विवाह विष्णुजी के साथ कराने के लिए तैयार हैं. नारद मुनि ने विष्णुजी के पास पहुंकर उन्हें सारी बातें बताई.
शिवजी माता पार्वती से आगे कहते हैं- पार्वती! तुम्हारे पिता ने जब यह बात तुम्हें बताई तो तुम दुखी हो गई क्योंकि तुम मन से मुझे पति के रूप में स्वीकार कर चुकी थी. ऐसे में तुमने यह बात अपनी एक सखी को बताई. तुम्हारी सखी ने तुम्हें जंगल में रहकर मेरा स्मरण करने का सुझाव दिया. तुम राजमहल छोड़ जंगल चली गई और जंगल में रहकर तुमने मुझे पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की. इधर तुम्हारे पिता पर्वतराज तुम्हारे लुप्त होने पर चिंतित होने लगे. उन्हें यह चिंता सताने लगी कि यदि इस बीच विष्णुजी बारात ले आए, तब क्या होगा.

शिवजी माता पार्वती से आगे कहते हैं- पार्वती! तुम्हारे पिता पर्वतराज ने तुम्हारे लुप्त होने के बाद सैनिकों को भेजकर खोज शुरू कर दी और उन्होंने धरती-पाताल एक कर दिया. लेकिन तुम एक गुफा में रेत से शिवलिंग बनाकर मेरी आराधना करने में लीन थी. मैं तुम्हारी तपस्या से प्रसन्न हुआ और मैनें तुम्हें मनोकामना पूर्ति का वचन दिया.
इधर तुम्हारे पिता पर्वराज भी गुफा तक पहुंच गए. तब तुमने अपने पिता को बताया कि कैसे तुमने शिवजी को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की. तुमने पिता को बताया कि तुम्हारी कठोर तपस्या अब सफल हो गई. तुमने पिता से कहा कि तुम उनके साथ महज तब जाओगी, जब वे तुम्हारा विवाह शिवजी संग कराने के लिए राजी होंगे. पिता पर्वतराज शिवजी और माता पार्वती के विवाह के लिए मान गए और उन्होंने विधि-विधान से शिव-पार्वती का विवाह कराया.

शिवजी माता पार्वती से कहते हैं, हे पार्वती! तुमने मुझे पति के रूप में पाने के लिए जो कठोर तप किया. उसी के फलस्वरूप हमारा विवाह संपन्न हो पाया, इसलिए जो स्त्री इस व्रत करती है, उसे माता पार्वती की तरह अखंड सुहाग की प्राप्ति होती है और अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है.


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