जानिए देवी कालरात्रि की कथा
जब सभी देवताओं और महादेव ने मां दुर्गा से अनुरोध किया
देवी कालरात्रि की कथा (Maa Kalratri Vrat Katha)
पौराणिक मान्यता के अनुसार रक्तबीज नाम का एक बहुत बड़ा राक्षस था जो असुरों का राजा था। इसके पास बहुत सी शक्तियां थी जिस वजह से वह सभी देवताओं को परेशान करता था। रक्तबीज ने यह वरदान प्राप्त किया था कि जब उसके खून की बूंद धरती पर गिरे तो बिल्कुल उसके जैसा शक्तिशाली दानव बन जाए। रक्तबीज से त्रस्त होकर सभी देवता यह शिकायत लेकर भगवान शिव के पास पहुंचे। महादेव यह जानते थे कि राक्षस रक्तबीज का संहार मां दुर्गा ही कर सकती हैं।
जब सभी देवताओं और महादेव ने मां दुर्गा से अनुरोध किया तो मां पार्वती ने स्वयं शक्ति संधान किया। देवी कालरात्रि की उत्पत्ति मां दुर्गा के तेज से ही हुई है। इसके बाद देवी कालरात्रि ने रक्तबीज का संहार किया और उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को देवी अपने खप्पर में भर लिया करती थी। इस तरह माँ ने दैत्य रक्तबीज के खून की एक भी बूंद को जमीन पर नहीं गिरने दिया और रक्तबीज का अंत किया।