जनता से रिश्ता वेबडेस्क| देश के प्रमुख बारह ज्योतिर्लिंग (12 Jyotirling) में सोमनाथ मंदिर (Somnath Temple) को भगवान शिव का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है. शिवभक्तों की आस्था का यह प्रमुख गुजरात के काठियावाड़ क्षेत्र में समुद्र के किनारे स्थित है. मान्यता है कि इस भव्य मंदिर का कभी भगवान चंद्रदेव ने स्वयं ही निर्माण किया था. भगवान शिव के इस पावन दिव्य ज्योतिर्लिंग का वर्णन तमाम धार्मिक ग्रंथों जैसे स्कंदपुराण, श्रीमद्भागवत गीता, शिव पुराण आदि में मिलता है. इस ज्योतिर्लिंग के बारे में मान्यता है कि यह हर सृष्टि काल में यहां पर मौजूद रहा है. देश के आजाद होने के बाद भगवान शिव के इस पावन ज्योतिर्लिंग का भारत के तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल पुनर्निर्माण कराया था. शिव के इस भव्य पावन धाम में प्रतिदिन शिव भक्तों का तांता लगा रहता है.
सोमनाथ मंदिर का पौराणिक महत्व
पौराणिक मान्यता के अनुसार शिव के इस पावन धाम का संबंध चंद्रदेव से जुड़ा हुआ है, जिन्हें सोम भी कहा जाता है. चंद्रदेव जो कि राजा दक्ष के दामाद थे, उन्हें उनके श्वसुर ने एक बार नाराज होकर श्राप दे दिया कि उनका प्रकाश दिन-प्रतिदिन क्षीण होता चला जाएगा. इससे चंद्रदेव घबरा गये और उन्होंने उनसे माफी मांगते हुए इस श्राप को वापस लेने के लिए कहा. तब राजा दक्ष ने कहा कि श्राप तो वापस नहीं लौट सकता लेकिन यदि वे सरस्वती के मुहाने पर समुद्र में स्नान करें तो वे इस श्राप के ताप से बच सकते हैं. इसके बाद सोम यानि चंद्रदेव ने सरस्वती नदी के मुहाने पर स्थित अरब सागर में स्नान करके भगवान शिव की साधना-आराधना की. जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इसी स्थान पर अवतरित होकर उनका उद्धार किया और यहां पर वे सोमनाथ के नाम से प्रसिद्ध हुए.
सोमनाथ मंदिर की पूजा का फल
भगवान शिव के इस पावन ज्योतिर्लिंग की ऊंचाई तकरीबन 155 फीट है. मंदिर तीन भागों में विभाजित है, जिसमें नाट्यमंडप, जगमोहन और गर्भगृह शामिल हैं. मान्यता है कि सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन, पूजन और स्मरण मात्र से शिव भक्तों के सारे संकट पल भर में दूर हो जाते हैं. भगवान सोमनाथ की साधना-आराधना से भक्तों के जन्म-जन्मांतर के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं. भगवान शिव की हमेशा उस पर कृपा बनी रहती है और उसे जीवन के सभी सुख प्राप्त होते हैं