Sakat Chauth जानें तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि

Update: 2024-12-27 13:26 GMT
Sakat Chauth ज्योतिष न्यूज़ : साल भर में 12 संकष्टी चतुर्थी व्रत आते हैं। इनमें से कुछ चतुर्थी साल की सबसे बड़ी चौथ में से एक हैं, उनमें से एक है सकट चौथ व्रत। सकट चौथ भगवान गणेश के सबसे महत्वपूर्ण पर्व में से एक है। हर साल माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन सकट चौथ का त्योहार मनाया जाता है।
 सकट चौथ व्रत की महिमा से संतान की सभी चिंताएं दूर हो जाएंगी। भक्तों को सौभाग्य और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। सकट चौथ वर्ष की शुरुआत में पड़ता है, इसलिए जो लोग इस दिन व्रत रखते हैं। उन्हें पूरे वर्ष अनंत सुख, धन, सफलता और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। आइए जानते हैं 2025 में कब है सकट चौथ।
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 कब है सकट चौथ?
17 जनवरी 2025, शुक्रवार को सकट चौथ है। इसे संकष्टी चतुर्थी, सकट चौथ, तिलकुट चौथ, माघी चौथ, लंबोदर संकष्टी, तिलकुट चतुर्थी और संकटा चौथ आदि नामों से भी जाना जाता है।
सकट चौथ 2025
माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि आरंभ: 17 जनवरी 2025, प्रातः 4 बजकर 06 मिनट पर
माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि समाप्त: 18 जनवरी 2025, प्रातः 5 बजकर 30 मिनट पर
गणपति पूजा मुहूर्त- 17 जनवरी 2025 प्रातः 7:15 - प्रातः 11:12
सकट चौथ 2025 चंद्रोदय समय
17 जनवरी 2025 , रात्रि 09: 09 मिनट पर
सकट चौथ व्रत क्यों किया जाता है ?
सकट चौथ का दिन भगवान गणेश और सकट माता को समर्पित है। इस दिन माताएं अपने पुत्रों के कल्याण की कामना से व्रत रखती हैं। सकट चौथ के दिन भगवान गणेश की पूरे विधि विधान से पूजा की जाती है। इस पूरे दिन व्रत रखा जाता है।
रात्रि में चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है। यही कारण है कि सकट चौथ पर चंद्रमा दर्शन और पूजन का विशेष महत्व होता है। इस दिन गणपति जी को पूजा में तिल के लड्डू या मिठाई अर्पित करते हैं, साथ में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत पारण करते हैं।
सकट चौथ पूजा विधि
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं।
इसके बाद सकट चौथ व्रत रखने का संकल्प करें।
एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर गणेश जी और सकट माता की प्रतिमा की स्थापना करें।
सिंदूर का तिलक लगाएं। घी का दीपक जलाएं।
भगवान गणेश की प्रतिमा पर फूल, फल और मिठाइयां अर्पित करें।
पूजा में तिलकुट का भोग जरूर शामिल करें।
गणेश चालीसा का पाठ करें। अंत में बप्पा की आरती करें।
शंखनाद से पूजा पूर्ण करें।
प्रसाद खाकर अपने व्रत का पारण करें।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।
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