जानिए नरसिंह जयंती की तारीख एवं शुभ मुहूर्त

Update: 2023-05-02 14:43 GMT
हिंदू धर्म में नरसिम्हा जयंती (Narsimha Jayanti 2023) का विशेष महत्व माना गया है. पौराणिक मान्यतानुसार, जब-जब पृथ्वी पर पाप की वृद्धि और धर्म की हानि हुई तब-तब भगवान श्री विष्णु ने अपने भक्तों के लिए व धरती की रक्षा करने के लिए व जन कल्याण क लिए अवतार लिया. आपको बता दें कि भगवान नरसिंह को भगवान श्री विष्णु के दस अवतारों में उनका चौथा अवतार माना जाता है. श्रीहरि के आधे सिंह और आधे मनुष्य की आकृति वाले अवतार के बारे में मान्यता है कि इसका प्राकट्य उनके अनन्य भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए हुआ था, जिसे राजा हिरण्यश्यप नाम का राक्षस सिर्फ इसलिए मार डालना चाहता था क्योंकि वह उसकी बजाय श्री हरि की पूजा करता था. बड़े संकटों से सभी की रक्षा करने वाले भगवान नरसिंह की जयंती इस साल कब मनाई जाएगी, तो चलिए जानते हैं .
नरसिंह जयंती की तारीख एवं शुभ मुहूर्त
हर साल वैशाख मास की चतुर्दशी तिथि को नरसिंह जयंती (Narsimha Jayanti 2023) की रूप में मनाया जाता है. पंचांग के अनुसार, इस साल वैशाख मास की चतुर्दशी तिथि 03 मई 2023 को रात्रि 11:49 बजे शुरु हो कर 04 मई 2023 को प्रात:काल 11:44 बजे तक रहने वाली है. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार 04 मई 2023 को ही नरसिंह जयंती का पावन पर्व मनाया जाएगा. इस दिन विधि विधान से भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार की पूजा की जाती है. वही पूजा पाठ के लिए शुब मुहूर्त की बात करें, तो 04 मई 2023, गुरुवार को सायंकाल 04:18 से लेकर 06:58 बजे तक का समय सबसे उत्तम रहेगा, जबकि नरसिंह जयंती व्रत का पारण अगले दिन यानि 05 मई 2023 को प्रात:काल 05:38 बजे के बाद कभी भी किया जा सकेगा.
भगवान नरसिंह की पूजा विधि
नरसिंह जयंती (Narsimha Jayanti 2023) के शुभ अवसर पर विधि विधान से भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार की पूजा करने की परंपरा है. इस दिन साधक को सूर्योदय से पहले उठकर स्नान-ध्यान करना चाहिए. इसके बाद सबसे भगवान सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए और उसके बाद इस व्रत को विधि-विधान से करने का मन में संकल्प लेना चाहिए. भगवान नरसिंह की पूजा करने के लिए उनकी मूर्ति या चित्र को घर के ईशान कोण में एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर स्थापित कर लेना है और उन्हें गंगाजल से स्नान कराएं. इसके बाद उन्हें पीले पुष्प, वस्त्र, धूप, दीप, फल, मिठाई आदि अर्पित करना चाहिए.
नरसिंह जयंती का महत्व
भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रह्लाद को बचाने व हिरण्यकश्यप का वध करने के लिए नरसिंह अवतार धारण किया था और इस अवतार को विष्णु जी के सभी अवतारों में सबसे ज्यादा उग्र और घातक माना जाता है. मान्यतानुसार, भगवान नरसिंह की परम भक्ति से प्रहलाद को बैकुंठ धाम की प्राप्ति हुई थी. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भी व्यक्ति भगवान नरसिंह की विधि विधान से पूजा अर्चना करता है, उसे मानसिक बल के साथ शारीरिक बल प्राप्त होता है.
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