जानिए रसोईघर से जुड़े वास्तु दोष के कारण

वास्तु (Vastu) में बताया आया है कि रसोई में कभी भी रात के समय जूठे बर्तन नहीं छोड़ने चाहिए।

Update: 2023-03-15 16:37 GMT
वास्तु शास्त्र का हमारे जीवन पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे शारीरिक और मानसिक परेशानियां बढ़ती हैं। लेकिन लोग समझ नहीं पाते की ये वास्तु दोष के लक्षण हैं। ऐसे में वो डॉक्टर के द्वार जाते हैं, लेकिन इससे कोई लाभ नहीं मिलता। हालांकि कई बार गलत खानपान और लाइफस्टाइल का भी हमारे शरीर पर बुरा असर पड़ता है।
जब किसी घर में अक्सर कोई बीमार रहने लगे और लाख दवाइयों के बाद भी आराम न मिले तो समझ लें कि ये शारीरिक दोष की वजह से नहीं बल्कि वास्तु दोष की वजह से हो रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि मनुष्य के स्वास्थ्य पर वास्तु दोष का प्रभाव भी पड़ता है। बता दें कि, घर के मुख्य द्वार से लेकर हर जगह रखे सामान की दिशा और दशा का वास्तु के हिसाब से पॉजिटिव और नेगेटिव असर देखने को मिलता है।
ऐसे में गलत दिशा में रखा हुआ सामान वास्तु दोष का सबसे बड़ा कारण बनता हैं। आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे हैं कि वो कौन-कौन से काम हैं जो वास्तु दोष को आमंत्रित करते हैं। आइये जानते हैं विस्तार से।
रसोईघर से जुड़े वास्तु दोष के कारण
वास्तु (Vastu) में बताया आया है कि रसोई में कभी भी रात के समय जूठे बर्तन नहीं छोड़ने चाहिए। जिस घर में ऐसा होता है उस घर में वास्तु दोष होता है। इससे घर के लोग अक्सर बीमार रहते हैं।
इस बात का ध्यान रखें कि रसोईघर में कभी भी अग्नि और पानी यानी गैस और पीने के पानी का अर्टन साथ में न रखें इससे भी वास्तु दोष लगता है। ऐसा करने से घर के सदस्यों का पेट ठीक नहीं रहता है और एसिडिटी की समस्या रहती है।
बता दें कि वास्तु के अनुसार, रसोई घर में यदि गैस पर काम करते समय व्यक्ति का मुख उत्तर दिशा में हो तो उससे सर्वाइकल, थायराइड और स्पॉन्डिलाइटिस जैसी समस्या हो सकती है।
वास्तु के अनुसार दीवारों में सीलन को भी अशुभ माना जाता है। इससे श्वांस और त्वचा संबंधी समस्याएं होने की प्रबल आशंका होती है।
बेडरूम से संबंधित वास्तु दोष
इस बात का ध्यान रखें कि रात को सोते समय सिर उत्तर दिशा और पैर दक्षिण दिशा में होने से सिरदर्द और अनिद्रा जैसी समस्याएं होती हैं।
बीपी पेशेंट यदि दक्षिण-पूर्व दिशा में लेटते हैं तो उससे बीपी बढ़ने की आशंका होती है।
इस बात का ध्यान रखें कि गर्भवती महिलाओं को पूर्वोत्तर और ईशान कोण दिशा मे लेटने से गर्भाशय से संबंधित दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
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