जानिए चावल के दानों से खुश होते हैं भगवान शिव
हर किसी की जिंदगी में अनेकों बार ऐसा होता है कि जब हम हर तरह के प्रयास करते हैं लेकिन फिर भी कई बार हमको सफलता नहीं मिलती है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | हर किसी की जिंदगी में अनेकों बार ऐसा होता है कि जब हम हर तरह के प्रयास करते हैं लेकिन फिर भी कई बार हमको सफलता नहीं मिलती है. हर कोई जीवन में धन को कमाने के लिए कई तरह के प्रयास भी करता है. यही कारण है कि कुछ ऐसे उपाए बताए जाते हैं, जिनको करने से आप परेशानियों से उभर जाते हैं, आज हम बात कर रहे हैं, अक्षत यानी चावल (Rice totke) की. धर्म ग्रंथों मे चावल यानि अक्षत (Rice totke in hindi) को बहुत पवित्र माना गया है. सनातन धर्म (Sanatan Dharma) में अक्षत के बिना किसी भी तरह का पूजा-पाठ पूरा नहीं होता है.
यही कारण है कि भक्तों के पूजाघर में अक्षत हमेशा मौजूद होते हैं. भगवान शिव की पूजा में उन्हें हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है. इसी प्रकार भगवान गणेश को तुलसी चढ़ाना निषेध माना गया है. देवी दुर्गा को दूर्वा नहीं चढ़ाया जाता है. लेकिन अक्षत विष्णु जी को नहीं चढ़ाया जाता है, तो आइए आज हम आपको अक्षत से जुड़े कुछ खास उपायों के बारे में बताएंगे जिनको अपनाकर लक्ष्मी मां की कृपा आप पर होगी.
आइए जानते हैं चावल से होने वाले कुछ लाभ जिनसे होगी धन की वर्षा
1-टूटे चावल ना चढ़ाएं
धर्म शास्त्र के अनुसार किसी भी देवी-देवता या फिर पूजा में टूटे हुए चावल कभी नहीं चढ़ाना चाहिए. दरअसल अक्षत को पूर्णता का प्रतीक माना जाता है. इसलिए खंडित चावल को कभी भगवान को समर्पित नहीं करना चाहिए, ये अशुभ माना जाता है. हालांकि रोजाना चावल के 5 दाने पूजा में चढ़ाने धन में वृद्धि होती है.
2-भगवान शिव होते हैं प्रसन्न
ग्रंथों में इस बात विशेष रूप से उल्लेख किया गया है कि अगर आप शिवलिंग पर अक्षत अर्पित करते हैं तो इससे भगवान शिव अपने भक्तों से खासा प्रसन्न होते हैं. इसके अलावा भगवान शिव को भी टूटे चावल अर्पित नहीं करने चाहिए. अगर प्रतिदिन शिव जी को अक्षत आप समर्पित करते हैं तो जीवन के हर एक कष्ट दूर हो जाते हैं. साथ ही शुक्ल पक्ष या माह की किसी भी चतुर्थी को केवल 5 दाने चावल शिव जी को चढ़ाने से भी उत्तम फल प्राप्त होता है.
3-कुमकुम और अक्षत का मेल
अन्न में अक्षत को हमेशा से सर्वश्रेष्ठ भी माना जाता है, यही कारण है कि सभी देवी देवताओं पर चावल चढ़ाए जाते हैं. इसके साथ ही बिना कुमकुम लगाए भी सनातन धर्म में कुछ भी सफल नहीं माना जाता है. जहां भगवान को भी कुमकुम के साथ अक्षत चढ़ाना पुण्य से भरा माना जाता है, तो वहीं पूजा पाठ में जातकों का भी कुमकुम और अक्षत के साथ टीका होता है.