जानिए भगवान दत्तात्रेय की जयंती में स्मरण करने से इन भक्तों पर ज्यादा कृपा होती है

मार्गशीर्ष माह में पूर्णिमा के दिन भगवान दत्तात्रेय की जयंती मनाई जाती है।

Update: 2020-12-27 10:12 GMT

जनता से रिश्ता बेवङेस्क|मार्गशीर्ष माह में पूर्णिमा के दिन भगवान दत्तात्रेय की जयंती मनाई जाती है।मार्गशीर्ष माह में पूर्णिमा के दिन भगवान दत्तात्रेय की जयंती मनाई जाती है।भगवान दत्तात्रेय को भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान शिव का अवतार माना जाता है। इस दिन को दत्त जयंती नाम से भी जाना जाता है। भगवान दत्तात्रेय, अत्रि और अनुसूया के पुत्र हैं। उनका जन्म प्रदोष काल में हुआ। भगवान दत्तात्रेय को स्मृतगामी भी कहा जाता है। वह स्मरणमात्र से ही अपने भक्तों के पास पहुंच जाते हैं। भगवान दत्तात्रेय ने 24 गुरुओं से शिक्षा प्राप्त की, जिनमें पक्षी, थलचर, जलचर जीव, मनुष्य और प्रकृति शामिल हैं।

दत्तात्रेय जयंती पर श्रद्धालु उपवास रखते हैं।

उनकी पूजा फूल, धूप, दीप और कर्पूर से की जाती है। अत्रिपुत्र होने के कारण यह आत्रेय कहलाते हैं। दत्त और आत्रेय के संयोग से इनका दत्तात्रेय नाम प्रसिद्ध हो गया। भगवान ब्रह्मा के अंश से चंद्रमा, भगवान शिव के अंश से दुर्वासा तथा भगवान विष्णु के अंश से दत्तात्रेय अवतार हैं। भगवान दत्तात्रेय कृपा की मूर्ति कहे जाते हैं। भगवान दत्तात्रेय शीघ्र कृपा करने वाले देव माने जाते हैं। परम भक्त वत्सल भगवान दत्तात्रेय भक्तों के स्मरण करते ही उनके पास पहुंच जाते हैं। विद्या के परम आचार्य होने के कारण उन्हें श्री गुरुदेवदत्त भी कहा जाता है। एक बार वैदिक कर्मों, धर्म का लोप हो गया तो उस समय भगवान दत्तात्रेय ने इन सबका पुनरुद्धार किया। भगवान दत्तात्रेय में गुरु और ईश्वर, दोनों का स्वरूप निहित माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय की कृपा से मनुष्य गलत संगति और गलत रास्ते से बच जाता है। इनकी पूजा से किसी भी तरह की नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव नहीं होता। भगवान को पीले फूल अर्पित करें।

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