जानें मंगला गौरी व्रत कथा

इस साल सावन का पवित्र महीना 14 जुलाई से शुरू हो रहा है. यह महीना शिव भक्तों के लिए विशेष होता है. पूरे महीने भगवान शिव की पूजा अराधना कर उन्हें प्रसन्न किया जाता है.

Update: 2022-07-09 11:23 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क।  इस साल सावन का पवित्र महीना 14 जुलाई से शुरू हो रहा है. यह महीना शिव भक्तों के लिए विशेष होता है. पूरे महीने भगवान शिव की पूजा अराधना कर उन्हें प्रसन्न किया जाता है. वहीं सावन में आने वाले मंगलवार मंगला गौरी को समर्पित है. इस दिन मंगला गौरी की पूजा कर उन्हें प्रसन्न किया जाता है. ऐसे में इस दिन से जुड़ी व्रत कथा के बारे में पता होना जरूरी है. आज का हमारा लेख इसी विषय पर है. आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि मंगला गौरी व्रत कथा क्या है. 

मंगला गौरी व्रत कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार एक शहर में धर्मपाल नाम का व्यापारी रहता था. उसकी पत्नी बेहद खूबसूरत और गुनी थी. उस व्यापारी के पास धन संपत्ति की कोई कमी नहीं थी. लेकिन संतान ना होने के कारण वे बेहद दुखी और अधूरा महसूस करते थे. कुछ समय बाद भगवान की कृपा से उनके घर में पुत्र का जन्म हुआ पर वह पुत्र अल्प आयु का था. उस पुत्र को श्राप मिला था की 16 वर्ष की आयु में सांप के काटने से उसकी मृत्यु हो जाएगी. संयोग से पुत्र की शादी 16 वर्ष की आयु से पहले ही हो गई. जिस कन्या से उसका विवाह हुआ उस लड़की की मां माता मंगला गौरी व्रत किया करती थी. माता के व्रत करने से मंगला गौरी ने उसकी कन्या को यह आशीर्वाद दिया कि वह कभी विधवा नहीं हो सकती. कहा जाता है कि माता के इसी व्रत के प्रताप से धर्मपाल की बहु को अखंड सौभाग्य प्राप्त हुआ और उसके पति को 100 वर्ष की लंबी आयु भी प्राप्त हुई. तभी से मंगला गौरी का व्रत अखंड सौभाग्य प्राप्त करने और दाम्पत्य जीवन में खुशहाली लाने के लिए रखा जाता है.
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