जानिए कावंड़ यात्रा में इन नियमों का करें पालन
भगवान शिव का प्रिय महीना सावन आज यानि 14 जुलाई से शुरू हो गया है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भगवान शिव का प्रिय महीना सावन आज यानि 14 जुलाई से शुरू हो गया है और इसके साथ ही कांवड़ यात्रा की भी शुरुआत हो गई है. सावन के महीने में कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra Ke Niyam) का विशेष महत्व होता है और इस दौरान भोलेनाथ के भक्त पवित्र नदी का जल लाकर उससे उनका जलाभिषेक करते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं (Kanwar Yatra) पूर्ण करते हैं. कावंड़ यात्रा 14 जुलाई से शुरू हो गई है और 26 जुलाई तक चलेगी. अगर आप पहली बार कांवड़ लेने जा रहे हैं तो आपको इसके नियमों के बारे में जानकारी होनी चाहिए
कावंड़ यात्रा में इन नियमों का करें पालन
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कांवड़ यात्रा काफी महत्वपूर्ण होती है और इस यात्रा में शामिल होने वालो श्रद्धालुओं को पवित्रता व स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए.
यदि आप भी कांवड़ लेने जा रहे हैं कि ध्यान रखें कि गलती से भी कांवड़ को धरती पर न रखें. इसलिए यात्रा के दौरान जगह-जगह कांवड़ियों के विश्राम की व्यवस्था के साथ ही कांवड़ रखने के लिए ऊंचे स्थान बनाए जाते हैं.
कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़ियों को सात्विक भोजन का ही इस्तेमाल करना चाहिए. साथ ही किसी भी प्रकार के नशे से भी दूर रहना चाहिए. कांवड़ यात्रा के दौरान मांस, मंदिरा या लहसुन-प्याज का सेवन करने से कांवड़ यात्रा भंग हो जाती है. भोलेनाथ ऐसे व्यक्ति का जलाभिषेक ग्रहण नहीं करते.
कांवड यात्रा के दौरान पवित्र नदियों का जल लाकर उससे भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक किया जाता है. लेकिन यदि संभव न हो पाए तो दूसरी पवित्र नदियों का जल भी कलश में भरकर शिवजी को चढ़ाया जा सकता है.
कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़ियों को नंगे पैर रहना होता है. यात्रा आरंभ होने से लेकर यात्रा की समाप्ति तक नंगे पैर ही चलना होता है. वैसे आजकल वाहनों का इस्तेमाल भी किया जा रहा है जो कि गलत नहीं है.