जानिए बजरंगबली से जुड़ें ये रहस्य के बारे में...

चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को प्रत्येक वर्ष राम भक्त हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है।

Update: 2022-04-11 05:26 GMT

जानिए बजरंगबली से जुड़ें ये रहस्य के बारे में...

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को प्रत्येक वर्ष राम भक्त हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। संकटमोचन हनुमान जी के भक्तों में हनुमान जयंती के मौके पर खासा उत्साह देखने को मिलता है और देशभर में इस दिन को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। श्री विष्णु को राम अवतार के वक्त सहयोग करने के लिए रुद्रावतार हनुमान जी का जन्म हुआ था। पवनपुत्र हनुमानजी ने रावण का वध, सीता की खोज और लंका पर विजय पाने में श्रीराम की पूरी सहायता की थी। हनुमान जी के जन्म का उद्देश्य ही राम भक्ति था। इस साल हनुमान जयंती 16 अप्रैल को मनाई जाएगी। राम भक्त हनुमान को महाबली माना गया है, जो अजर अमर है। पवन पुत्र हनुमान जी के कुछ ऐसे अनजान रहस्य हैं जिन्हें जानकर आप भी चौंक जाएंगे। अंजनी पुत्र हनुमान जी के कुछ ऐसे 7 रहस्य हैं के बारें शायद ही आप जानते है। आइए जानते हैं क्या हैं वो रहस्य

हनुमान जी का जन्म स्थान
पवनपुत्र हनुमान जी का जन्म कर्नाटक के कोपल जिले में स्थित हम्पी के निकट बसे हुए गांव में हुआ था। तुंगभद्रा नदी को पार करने पर अनेगुंदी जाते समय मार्ग में पंपा सरोवर आता है। यहां स्थित एक पर्वत में शबरी गुफा है, जिसके निकट शबरी के गुरू मतंग ऋषि के नाम पर प्रसिद्ध मतंगवन था। हम्पी में ऋष्यमूक के राम मंदिर के पास स्थित पहाड़ी आज भी मतंग पर्वत के नाम से जानी जाती है। मान्यता है कि मतंग ऋषि के आश्रम में ही हनुमान जी का जन्म हुआ था। भगवान राम के जन्म से पहले हनुमान जी का जन्म चैत्र मास की शुक्ल पूर्णमा के दिन हुआ था।
हनुमान जी को प्राप्त है इच्छा मृत्यु का वरदान
अंजनी पुत्र हनुमान जी को इंद्र से उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान मिला था। भगवान राम के वरदान अनुसार युग का अंत होने पर उन्हें मुक्ति प्राप्त होगी। सीता माता के वरदान के अनुसार वे चिरंजीवी रहेंगे। इसी वरदान के चलते द्वापर युग में भी हनुमान जी का उल्लेख मिलता है जहां वेभीम और अर्जुन की परीक्षा लेते हैं। इसके बाद कलियुग में वे तुलसीदास जी को दर्शन देते हैं। तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित मानस में हनुमान जी द्वारा कहे शब्दों का उल्लेख मिलता है, जिसमें वो तुलसीदस जी का ही जिक्र करते हुए कह रहे हैं चित्रकूट के घाट पै, भई संतन की भीर, तुलसी दास चंदन घिसै, तिलक देत रघुवीर। श्रीमद् भागवत की मानें तो कलियुग में हनुमान जी के अनुसार हनुमान जी गंधमादन पर्वत पर निवास करते हैं।
हनुमान जी के 108 नाम में छिपा है रहस्य
हनुमान जी को कई नामों से पुकार जाता है जैसे पवनपुत्र, अंजनी पुत्र, मारुतिनंदन, बजरंगबली, केसरीनंदन, संकटमोचन आदि। हनुमान जी के संस्कृत में 108 नाम है। उनका हर नाम उनके जीवन के अध्यायों का सार बताता है। इसलिए उनके 108 नाम बहुत ही प्रभावी माने जाते हैं।
विभीषण ने की थी सबसे पहले हनुमान स्तुति
हनुमान जी का परिचय हम सभी तुलसीदास द्वार रचित स्त्रोतों जैसे हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमान बहुक आदि से मिलता है। लेकिन इससे पूर्व भी हनुमान जी आराधना किसने की थी? सबसे पहले विभीषण ने हनुमानजी की शरण में आकर उनकी स्तुति की थी। विभीषण ने हनुमानजी की स्तुति में एक बहुत ही अद्भुत और अचूक स्तोत्र की रचना भी की है।
ब्रह्मचारी होने के बावजूद एक पिता हैं हनुमान जी
राम भक्त हनुमान ब्रह्मचारी माने जाते हैं। लेकिन ब्रह्मचारी होने के बाद भी वे एक पुत्र के पिता थे। कथा के अनुसार जब हनुमान जी सीता माता की खोज में लंका जा रही थे तब रास्ते में उनका एक राक्षस से युद्ध हुआ। राक्षस को परास्त करने के बाद वो थक गए उआर उनके पसीने की बूंद को मगरमच्छ ने निगल लिया। उसके बाद उस मकर के एक पुत्र उत्पन्न हुआ जिसका नाम मकध्वज था।
माता जगदम्बा के सेवक भी हैं हनुमान जी
राम भक्त हनुमान जी मां दुर्गा के भी सेवक हैं। हनुमानजी माता के आगे-आगे चलते हैं और भैरवजी उनके पीछे-पीछे। माता के देश में जितने भी मंदिर है वहां उनके आसपास हनुमानजी और भैरवजी का मंदिर जरूर होते हैं। हनुमान जी की खड़ी मुद्रा में और भैरव की मंड मुद्रा में प्रतिमा होती है।
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