जानें साईं बाबा से जुड़ी कई चमत्कारिक कहानियों के बारे में
गुरुवार का दिन भगवान विष्णु के अलावा साईं बाबा को भी समर्पित किया गया है.
गुरुवार का दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के अलावा साईं बाबा (Sai Baba) को भी समर्पित किया गया है. शिरडी साईं के देशभर में अनेकों भक्त हैं. साईं बाबा के भक्तों की संख्या महाराष्ट्र में ज्यादा देखने को मिलती है. साईं बाबा को कोई भगवान मानता है तो कोई उन्हें अवतार बोलता है. कुछ लोगों का कहना है कि वह फरिश्ते थे. हम सभी ने साईं बाबा के कई सारे चमत्कार (Miracle) के बारे में सुना है और पढ़ा है. आज की इस कड़ी में हम साईं बाबा से जुड़ी कई चमत्कारिक कहानियों के बारे में जानेंगे.
कहानी 1. कहा जाता है कि साईं बाबा हर दिन मस्जिद में दिया जलाते थे. बाबा बनियों से तेल मांग कर दिया जलाया करते थे. एक बार बनियों ने तेल देने से यह कह कर मना कर दिया कि उनके पास तेल नहीं है. साईं बाबा वहां से चले गए और उन्होंने मस्जिद जाकर तेल की जगह पानी के दिए जलाए तो वे जल उठे. यह बात सारी जगह फैल गई. तब उन बनियों ने साईं बाबा से माफी मांगी और कभी झूठ नहीं बोलने की बात कही.
कहानी 2. एक बार गांव में एक छोटी सी बच्ची खेलते खेलते अचानक कुएं में गिर गई. सभी उसे कुएं से निकालने के लिए वहां पहुंचे तो देखा कि बच्ची हवा में झूल रही थी. उसे किसी अदृश्य शक्ति ने पकड़ लिया था. कहा जाता है कि वो कोई और नहीं बल्की साईं बाबा ही थे. वह बच्ची भी कहती थी कि वह साईं बाबा की बहन है.
कहानी 3.एक बार साईं बाबा का हाथ जल गया था तो उन्हें भागोजी शिंदे घी मल कर पट्टी बांधते थे. भागोजी शिंदे कुष्ट रोगी थे. बताया जाता है कि चांदोकरजी मुंबई से बाबा के इलाज के लिए डॉक्टर लेकर आए लेकिन बाबा ने डॉक्टर परमानंद से इलाज करवाने से मना कर दिया और शिंदे द्वारा लगाए जा रहे घी से ही ठीक हो गए.
कहानी 4.एक बार भक्त पति पत्नी साईं बाबा के दर्शन करने के लिए बहुच दूर से आए थे. वापस जाते वक्त बहुत तेज बारिश होने लगी. जिसे देख कर भक्त दंपति परेशान हो गए. बाबा ने उनकी परेशानी को देखते हुए कहा कि हे अल्लाह बारिश को रोक दो, मेरे बच्चों को वापस जाना है. तभी बारिश अचानक रुक गई.
कहानी 5.एक बार म्हालसापति के घर पुत्र ने जन्म लिया. उस बच्चे को साईं बाबा के पास उसके नाम करण के लिे लेकर गए. तब साईं बाबा ने कहा कि इस पुत्र से ज्यादा लगाव मत रखो सिर्फ 25 साल की उम्र तक ही इसका ख्याल रखना. म्हालसापति को यह बात तब समझ आई जब उनके पुत्र का निधन 25 वर्ष की उम्र में हो गया.