दीपक जलाते समय इन नियमों का रखें ध्यान, मिलेगा पूजा का फल
दीपक जलाने के इन नियमों का रखें ख्याल
पूजा-पाठ, जप-अनुष्ठान हर कार्य में दीपक का महत्वपूर्ण स्थान है। मान्यता है कि बिना दीपक जलाए कोई भी पूजा-पाठ संपन्न नहीं होती। यही वजह है कि प्रत्येक धार्मिक कार्य में दीपक जरूर जलाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ज्योतिषशास्त्र में दीपक जलाने के भी नियम और कब कहां कैसे दीपक जलाना चाहिए यह बताया गया है। कहते हैं कि यदि इनका पालन न किया जाए तो पूजा-पाठ, जप और अनुष्ठान सफल नहीं होता। तो आइए ऐस्ट्रॉलजर और वास्तु एक्सपर्ट सचिन मेहरा से जानते हैं इस बारे में….
सबसे पहले करें यह काम
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार दीपक जलाकर सबसे पहले अपने ईष्टदेवता के चरणों की तीन बार आरती उतारें। इसके बाद दो बार मुखारविंद से चरणों तक उतारें। इसमें तीन बार ऊं की आकृति बनाएं। कहते हैं कि जब इस तरह दीपक दिखाया जाता है तब ईष्टदेव प्रसन्न होते हैं और पूजा संपन्न मानी जाती है।
संध्या के समय यहां जरूर जलाएं दीपक
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार तुलसी के पौधे के नीचे संध्या के समय दीपक जरूर जलाएं। मान्यता है कि ऐसा करने से को उस स्थान विशेष पर बुरी शक्तियों का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता। साथ ही दीपक प्रज्ज्वलित करने वाले जातकों के जीवन में आने वाले सभी कष्टों का भी नाश होता है। तुलसी मां की कृपा से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
पीपल के नीचे दीपक रखने का ऐसा नियम
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार पीपल के नीचे दीपक जलाने का भी विशेष नियम है। मान्यता है कि प्रत्येक अमावस्या को रात्रि में पीपल के नीचे शुद्ध घी का दीपक जलाने से पितर प्रसन्न होते हैं। वहीं अगर नियमित रूप से 41 दिनों तक पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाया जाए तो सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
ये नियम दूर कर सकते हैं असाध्य रोग
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार अगर आप केले के पेड़ के नीचे गुरुवार को दीपक जलाते हैं। तो ध्यान रखें कि घी का दीपक ही जलाएं। इसके अलावा कहते हैं कि अगर कोई जातक असाध्य रोग से जूझ रहा हो तो उसके पहने हुए कपड़ों में से कुछ धागे निकालकर उसकी जोत शुद्ध घी में अपने इष्ट के समक्ष जलानी चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से असाध्य रोग भी दूर हो जाते हैं।