कालाष्टमी 2024 बाधाएं होंगी दूर,यदि करेंगे भैरव पूजन

Update: 2024-05-30 01:19 GMT
कालाष्टमी 2024 पूजा : ज्येष्ठ मास की कालाष्टमी आज है। अष्टमी तिथि प्रात: 11:43 से प्रारंभ होगी। भैरव पूजा का विधान सायंकाल होता है, वैसे आज रवियोग भी है।
इसलिए कालाष्टमी के दिन भैरव का पूजन करने से शत्रु संकट, बाहरी बाधाएं, भूत-प्रेत, पिशाच बाधाएं दूर होती हैं। पितरों की संतुष्टि होती है और अनेक प्रकार के रोग जो डाक्टरों को भी समझ नहीं आते वे भी दूर हो जाते हैं।
कालाष्टमी के दिन कालभैरव का पूजन किया जाता है। उनके निमित्त अनेक प्रकार के भोग का उपयोग किया जाता है जिससे काल भैरव प्रसन्न हो जाते हैं और मनुष्य के सारे संकटों को दूर कर देते हैं।
कालभैरव उग्र देव हैं और इनकी पूजा में अनेक कठोर नियमों का पालन करना होता है इसलिए कभी भी कालभैरव की पूजा, स्थापना घर में नहीं की जाती है। इनका पूजन सदैव मंदिरों में ही किया जाता है। तांत्रिकों के लिए कालभैरव विशेष महत्व रखते
कालाष्टमी के दिन मनुष्य को भैरव मंदिर में जाकर उनका पूजन कर विभिन्न द्रव्यों का भोग लाएं। कालभैरव का भोग सात्विक और तांत्रिक दो प्रकार से होता है। सात्विक भोग में उन्हें हलवा, खीर, गुलगुले, जलेबी, काले उड़द से बने दहीबड़े, पकौड़े आदि पसंद है। यह भोग कालभैरव को अर्पित करने के बाद काले कुत्ते को खिलाना चाहिए। तांत्रिक भोग में उन्हें शराब सर्वाधिक प्रिय है। यदि राहु केतु की पीड़ा भी है तो कालभैरव के निमित्त शराब चढ़ाने से वह पीड़ा दूर हो जाती है।
कालभैरव पूजन का लाभ
यदि आपके शत्रु बहुत हो गए हैं। अनावश्यक रूप से आपको परेशान कर रहे हैं। आपके काम में अड़ंगा डाल रहे हैं तो आपको कालाष्टमी के दिन कालभैरव का पूजन करके उन्हें उड़द के दहीबड़े का भोग लगाना चाहिए।
कालाष्टमी के दिन कालभैरव का पूजन करने से बाहरी बाधाएं, नकारात्मक ऊर्जा, नकारात्मक शक्ति, जादू-टोना आदि की बाधाएं दूर हो जाती हैं।
काल भैरव का पूजन करने से पितृदोष का भी निवारण होता है। पितृ प्रसन्न होते हैं।
काल भैरव का पूजन करके उन्हें गुलगुले का भोग अवश्य लगाएं और अपनी मनोकामना पूर्ति की कामना करें। काम तुरंत बन जाएगा
Tags:    

Similar News

-->