काल भैरव बहुत जल्द ही खुश होने वाले देवता माने जाते हैं. दंडनायक के नाम से प्रसिद्ध हैं

Update: 2023-07-12 11:49 GMT
धर्म अध्यात्म : हिन्दू धर्म से जुड़ी मान्यता के अनुसार भगवान काल भैरव को देवों के देव यानि भगवान शिव का रुद्र अवतार माना जाता है. कहा जाता है कि काल भैरव रक्षा और दंड दोनों के देवता हैं. वहीं, भगवान काल भैरव की रविवार के दिन पूजा-पाठ करने से किसी भी तरह की परेशानीं नही होती है. माना जाता है कि रविवार के दिन अगर, भगवान भैरव की पूजा- अर्चना की जाए तो बड़ी से बड़ी परेशानी और मनोकामना पूरी हो जाती है. आइए भगवान काल भैरव की पूजा विधि के बारे में विस्तार से जानते हैं. दरअसल, भक्तों के लिए काल भैरव बहुत जल्द ही खुश होने वाले देवता माने जाते हैं. मगर, वो गलत काम करने वालों के लिए दंडनायक नाम से प्रसिद्ध हैं. जहां भगवान काल भैरव जी की पूजा-अर्चना विधि विधान के साथ की जाती है. चूंकि, भगवान शिव का स्वरूप होने के कारण इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से भी भगवान भैरव का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
भगवान भैरव की पूजा आप कभी भी कर सकते हैं, लेकिन रविवार का दिन भगवान भैरव की पूजा के लिए विशेष रूप से समर्पित होता है. भगवान भैरव को भगवान शिव का ही एक रूप माना जाता है, इनकी पूजा-अर्चना करने का खास महत्व माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की पूजा करने से डर का नाश हो जाता है. ऐसे में काल भैरव की पूजा करने से किसी भी तरह के काम में आ रहा बाधाएं दूर हो जाती हैं.
शनि पर सरसों का तेल चढ़ाने से सिर्फ आपकी ही नहीं शनिदेव की भी दूर होती है पीड़ा, जानें कैसे?भगवान भैरव की पूजा के लिए रात का समय सबसे उपयुक्त माना गया है. माना जाता है कि उस समय पूजा-अर्चना करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. हालांकि, आप किसी भी समय अपनी सुविधा के हिसाब से बाबा भैरव की विधि-विधान से पूजा कर सकते हैं. चूंकि, भगवान भैरव की प्रदोष काल में की पूजा भी काफी शुभ और फलदायी मानी गई है.
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