अगले 25 दिनों में कर लें शंख के ये खास उपाय, कुछ ही दिन में बरसने लगेगा पैसा
हिंदू धर्म में हिंदू पंचांग के सभी 12 महीनों का अलग-अलग महत्व है. ये महीने अलग-अलग देवी-देवताओं को समर्पित हैं और उन महीनों में संबंधित भगवान की पूजा-आराधना करने से वे जल्दी प्रसन्न होते हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धर्म में हिंदू पंचांग के सभी 12 महीनों का अलग-अलग महत्व है. ये महीने अलग-अलग देवी-देवताओं को समर्पित हैं और उन महीनों में संबंधित भगवान की पूजा-आराधना करने से वे जल्दी प्रसन्न होते हैं. 20 नवंबर 2021 मार्गशीर्ष मास (Margshirsh Maas) शुरू हो चुका है. इसे अगहन का महीना भी कहते हैं. यह महीना भगवान कृष्ण का प्रिय महीना है और इसमें शंख की पूजा (Shankh Puja) करने का बहुत महत्व है.
सामान्य शंख को मान लें पांचजन्य शंख
इस महीने में सामान्य शंख को भी भगवान श्रीकृष्ण का पांचजन्य शंख मानकर पूजा करने से भगवान बहुत प्रसन्न होते हैं और अपने भक्त की इच्छा पूरी करते हैं. मान्यता है कि समुद्र मंथन के समय शंख भी प्रकट हुआ था. पुराणों के मुताबिक मां लक्ष्मी (Maa Laxmi) समुद्र की पुत्री हैं और शंख को मां लक्ष्मी का भाई माना गया है. इसलिए शंख की पूजा करने से मां लक्ष्मी भी कृपा करती हैं. यही वजह है कि लक्ष्मी पूजा में शंख बजाना बहुत शुभ माना जाता है. साथ ही आरती के बाद भक्तों पर शंख से जल छिड़का जाता है.
धन-प्राप्ति के लिए कर लें शंख के ये उपाय
अगहन महीना खत्म होने में अभी 25 दिन बाकी हैं. तब तक किसी भी दिन शंख के यह उपाय करने से जातक पर पैसा बरसने लगता है.
- दक्षिणावर्ती शंख में दूध भरकर उससे भगवान विष्णु का अभिषेक करें. इससे नारायण की कृपा से खूब धन लाभ होगा.
- अगहन मास में मोती शंख में साबूत चावल भरें और फिर इसकी पोटली बनाकर अपनी तिजोरी में रख लें. कुछ ही दिन में पैसा बरसने लगेगा.
- विष्णु मंदिर में शंख का दान करना भी पैसों की सारी समस्याओं को दूर कर देता है.
- मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए अगहन महीने में दक्षिणावर्ती शंख में गंगाजल और केसल मिलाकर उनका अभिषेक करें. मां लक्ष्मी की कृपा से धनवान हो जाएंगे.
- शंख की विधि-विधान से स्थापना करने के लिए अगहन का महीना सबसे ज्यादा शुभ होता है. जिस घर में दक्षिणावर्ती शंख स्थापित होता है, वहां कभी सुख-समृद्धि कम नहीं होती.
- यदि धनवान बनने में शुक्र दोष आड़ आ रहा है तो एक सफेद कपड़े में सफेद शंख, चावल और बताशे लपेटकर नदी में प्रवाहित कर दें. दिन बदलते देर नहीं लगेगी.