शनि प्रदोष व्रत का महत्व,जानें क्यों रखते हैं यह व्रत

त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है.

Update: 2022-01-15 01:30 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पंचांग के अनुसार, आज पौष माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि है. त्रयोदशी तिथि (Trayodashi Tithi) को प्रदोष व्रत रखा जाता है. इस बार का प्रदोष व्रत आज 15 जनवरी दिन शनिवार को है, इसलिए य​​ह शनि प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat) है. शनि प्रदोष व्रत के लिए भगवान शिव (Lord Shiva) की प्रदोष मुहूर्त में विधिपूर्वक पूजा की जाती है और उनके मंत्रों का जाप किया जाता है. भगवान शिव जब प्रसन्न होते हैं, तो व्यक्ति को जीवन में सब कुछ प्राप्त हो जाता है. सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. आइए जानते हैं कि इस साल के पहले प्रदोष व्रत की तिथि, पूजा मुहूर्त आदि के बारे में.

प्रदोष व्रत 2022 तिथि एवं पूजा मुहूर्त
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 14 जनवरी की रात 10:19 बजे लग गई, जो 15 जनवरी की देर रात 12:57 तक रहेगी. ऐसे में प्रदोष व्रत आज 15 जनवरी को रखा जाएगा.
15 जनवरी को जो लोग शनि प्रदोष व्रत रखेंगे, वे लोग उस दिन शाम 05:46 बजे से लेकर रात 08:28 बजे तक भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं. यह प्रदोष व्रत की पूजा के लिए मुहूर्त है. प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा सायंकाल में ही की जाती है. हालांकि लोग व्रत वाले दिन प्रात:काल में कर लेते हैं.
शनि प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत हर मास की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है. इस प्रकार से एक माह में दो प्रदोष व्रत होते हैं, एक शुक्ल पक्ष में और दूसरा कृष्ण पक्ष में. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शनि प्रदोष व्रत पुत्र प्राप्ति के लिए रखा जाता है. इस दिन भगवान ​शिव से सुयोग्य संतान की प्राप्ति के लिए मनोकामना की जाती है.
प्रदोष व्रत के दिन आप भगवान शिव को बेलपत्र, भांग, शमी पत्ता, धतूरा, गंगाजल, गाय का दूध, सफेद चंदन आदि अर्पित करें. उसके बाद भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए शिव चालीसा, शिव स्तोत्र का पाठ करें. आज के दिन शिव मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं. उसके बाद भगवान शिव की आरती करें. फिर अंत में पूजा में हुई कमी या त्रुटि के लिए क्षमा प्रार्थना कर लें.


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