जिस तरह श्रावण मास में सोमवार का महत्व होता हैं उसी तरह इस महीने पड़ने वाले मंगलवार को भी बेहद ही खास माना जाता हैं जो कि माता पार्वती की पूजा अर्चना को समर्पित होता हैं अभी सावन का महीना चल रहा हैं और आज सावन का तीसरा मंगला गौरी व्रत किया जा रहा हैं।
जो कि मां गौरी की पूजा के लिए उत्तम दिन माना जाता हैं इस दिन शादीशुदा महिलाएं और कुंवारी कन्याएं उपवास रखकर शिव गौरी की विधि विधान से पूजा करती हैं मान्यता है कि ऐसा करने से वैवाहिक जीवन और शादी से जुड़ी सभी परेशानियों का निवारण हो जाता हैं।
इस माह अधिकमास पड़ने के कारण नौ मंगला गौरी व्रत किए जाएंगे। ऐसे में अगर आप अपनी पसंद से शादी करना चाहते हैं तो आज मंगला गौरी व्रत पूजा के साथ माता के पवित्र स्तोत्र का पाठ जरूर करें मान्यता है कि ये चमत्कारी पाठ शादीशुदा जीवन में आने वाली परेशानियों और तनाव को दूर करता हैं साथ ही प्रेम विवाह की ख्वाहिश को भी पूरी कर देता हैं, तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं मंगला गौरी स्तोत्र।
मां मंगला गौरी स्तोत्र—
रक्ष-रक्ष जगन्माते देवि मङ्गल चण्डिके।
हारिके विपदार्राशे हर्षमंगल कारिके॥
हर्षमंगल दक्षे च हर्षमंगल दायिके।
शुभेमंगल दक्षे च शुभेमंगल चंडिके॥
मंगले मंगलार्हे च सर्वमंगल मंगले।
सता मंगल दे देवि सर्वेषां मंगलालये॥
पूज्ये मंगलवारे च मंगलाभिष्ट देवते।
पूज्ये मंगल भूपस्य मनुवंशस्य संततम्॥
मंगला धिस्ठात देवि मंगलाञ्च मंगले।
संसार मंगलाधारे पारे च सर्वकर्मणाम्॥
देव्याश्च मंगलंस्तोत्रं यः श्रृणोति समाहितः।
प्रति मंगलवारे च पूज्ये मंगल सुख-प्रदे॥
तन्मंगलं भवेतस्य न भवेन्तद्-मंगलम्।
वर्धते पुत्र-पौत्रश्च मंगलञ्च दिने-दिने॥
मामरक्ष रक्ष-रक्ष ॐ मंगल मंगले।
इति मंगलागौरी स्तोत्रं सम्पूर्णं