ऐसी 6 परिस्थितियों में व्यक्ति फंस जाए तो हर पल महसूस करता है घुटन

चाणक्य नीति

Update: 2021-07-05 17:13 GMT

कहा जाता है कि व्यक्ति अपने दुख की वजह स्वयं ही होता है. लेकिन वास्तविकता के धरातल पर इस बात को परखा जाए तो कई बार परिस्थितियां व्यक्ति को दुखी होने पर विवश करती हैं. इंसान एक सामाजिक प्राणी है जो परिस्थितियोंं का दास है. हालात के फेर से निकल पाना और अपने मन को स्थिर और सम स्थिति में रख पाना आमतौर पर सामान्य मनुष्य के हाथ में नहीं होता.


आचार्य चाणक्य ने भी चाणक्य नीति में ऐसी 6 स्थितियों का वर्णन किया है जो व्यक्ति को हर पल दुख के ताप में जलाती हैं. इन स्थितियों के बीच फंसे व्यक्ति का मन हर दिन आग की तरह झुलसता है. जानिए कौन सी हैं वो 6 स्थितियां.
कांता-वियोग: स्वजनामानो, ऋणस्य शेष: कुनृपस्य सेवा
दरिद्रभावो विषमा सभा च, विनाग्निना ते प्रदहन्ति कायम्

1. आचार्य चाणक्य के अनुसार पत्नी या प्रेमिका से व्यक्ति का जुड़ाव बहुत गहरा होता है. उससे वियोग होने पर हर कोई परेशान होता है. ऐसा व्यक्ति मन ही मन में हर पल आग सा जलता है.

2. अपमान वो घूंट है जो किसी से नहीं पिया जाता. यदि किसी व्यक्ति को अपने मित्र या रिश्तेदार से अपमानित होना पड़े तो ये स्थिति उसे बहुत बेचैन कर देती है. ऐसा शख्स अपने अपमान को चाह कर भी भुला नहीं पाता.

3. किसी से कर्ज लेना बहुत आसान होता है, लेकिन उसे चुकाना उतना ही मुश्किल. एक बार अगर व्यक्ति ने किसी से कर्ज ले लिया तो उसे चुकाने का विचार हर पर दिमाग पर हावी रहता है. ये न चैन से सोने देता है और न चैन से जीने देता है.

4. जो लोग कपटी और चरित्रहीन राजा या मालिक के सेवक होते हैं, वो हमेशा परेशान होते हैं. ऐसे लोगों को हर पल उनकी आत्मा कचोटती रहती है.

5. गरीबी को अभिशाप कहा गया है. वास्तव में गरीब व्यक्ति पैसे की तंगी की वजह से अपना काफी कुछ दांव पर लगाता है. आउसे जीवन में कई परेशानियां उठानी पड़ती हैं. इसीलिए गरीब व्यक्ति हमेशा दुखी रहता है और मन ही मन गरीबी को कोसता रहता है.

6. स्वार्थी लोगों के लिए आप कितना भी कर दीजिए, लेकिन वे कभी उसे नहीं मानते. यदि ऐसे लोगों के बीच व्यक्ति को रहना पड़ जाए तो ये भी एक तरह की प्रताड़ना ही है. ऐसा व्यक्ति हर पल परेशान रहता है और इन स्थितियों से बाहर निकलने की प्रार्थना करता है.

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