जनवरी महीने के तीज-त्यौहार कैसे मनाए, जानें पूजा विधि और इनके शुभ मुहूर्त

नए वर्ष के पहले महीने जनवरी को लेकर हर कोई उत्‍साहित रहता है.

Update: 2021-01-03 09:18 GMT

जनता से रिश्ता बेवङेस्क |नए वर्ष के पहले महीने जनवरी को लेकर हर कोई उत्‍साहित रहता है.जनवरी महीने में केवल नए साल की शुरुआत नहीं होती, बल्कि यह नया साल अपने साथ ढेरों तीज-त्‍योहार भी लेकर आता है. इन तीज-त्‍योहारों की शुरुआत जनवरी माह से ही लग जाती है.इस वर्ष भी जनवरी का महीना अपने साथ ढेर सारे तीज-त्‍योहार और व्रत लेकर आया है. इनमें से कुछ तीज-त्‍यौहारों पर व्रत रखने का महत्‍व है तो कुछ में स्‍नान और दान देने की परंपरा है.आइए आपको बताते हैं हिंदी पंचाग के हिसाब से जनवरी महीने में पड़ने वाले महत्‍वपूर्ण त्‍योहारों की विशेषता और महत्‍व के बारे में. साथ ही आपको इन त्‍यौहारों के शुरू होने का शुभ मुहूर्त भी बताते हैं.

जनवरी महीने के त्‍योहारों की तिथियां

9 जनवरी- सफला एकादशी

13 जनवरी-पौष अमावस्या

14 जनवरी-पोंगल , उत्तरायण , मकर संक्रांति

24 जनवरी-पौष पुत्रदा एकादशी

28 जनवरी-पौष पूर्णिमा व्रत

9 जनवरी- सफला एकादशी

यह त्‍योहार जगतपिता नारायण के अच्‍युत स्‍वरूप को समर्पित है. इस दिन श्रद्धालु भगवान अच्‍युत की पूजा-अर्चना करते हैं और उनका व्रत भी रखते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस एकादशी पर जो विधि-विधान के साथ व्रत रखता है, उसे सभी कार्यों में सफलता प्राप्‍त होती है. इस दिन नारियल, सुपारी, आंवला, अनार और लौंग से भगवान अच्‍युत की पूजा की जाती है. शास्‍त्रों में कहा गया है कि इस दिन जमीन पर सोना शुभ होता है.

शुभ मुहूर्त : सुबह 07:29 बजे से 09:40 बजे तक

13 जनवरी- पौष अमावस्या

हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का बड़ा महत्व है. इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण व दान करने का विधान है. इस दिन पहले सूर्यदेव को अर्घ्‍य दिया जता है और फिर अपने पितरों को तर्णण देकर उन्‍हें याद किया जाता है. इस दिन लोग अपने पितरों की आत्‍मा की शांति के लिए व्रत रखते हैं और दान-दक्षिणा भी करते हैं.

शुभ मुहूर्त : 12 जनवरी को रात 12:29 बजे से अमावस्या का आरम्भ होगा और 13 जनवरी को सुबह 10:38 पर अमावस्या समाप्त हो जाएगी.

14 जनवरी- पोंगल, उत्तरायण और मकर संक्रांति

14 जनवरी का दिन हर वर्ष विशेष होता है. इस दिन अलग-अलग राज्‍यों में एक ही त्‍योहार को अलग-अलग नाम से मनाया जाता है. जैसे उत्‍तर भारत में इस दिन मकर संक्रांति होती है. वहीं गुजरात में इस दिन उत्‍तरायण मनाया जाता है और दक्षिण भारत में इस दिन को पोंगल के रूप में मनाया जाता है. इस दिन का वैज्ञानिक महत्‍व भी है और धार्मिक विशेषता भी है. दरअसल इस दिन सूर्य उत्‍तर की दिशा से मकर राशि में प्रवेश करता है. इस दिन किसी पवित्र नदी में स्‍नान करने और दाल-चावल दान करने की परंपरा है. इतना ही नहीं, इस दिन से नई ऋतु का आगमन होता है और नई फसल भी कटती है. बिहार में इस पर्व को खिचड़ी और पंजाब में लोहड़ी कहा जाता है. गुजरात और राजस्‍थान में इस दिन पतंग उड़ाई जाती हैं.

24 जनवरी- पौष पुत्रदा एकादशी

यह पर्व संतान से जुड़ा हुआ है. पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी कहा जाता है. जिन माताओं को पुत्र चाहिए होता है वह इस व्रत को रखती हैं. इस दिन लोग भगवान विष्‍णु की पूजा करते हैं. कहते हैं कि इस दिन व्रत करने से संतान की प्राप्ति होती है. जिन माताओं के पहले से ही पुत्र होता है, वह भी इस व्रत को रख सकती हैं. संतान की सलामती या संतान प्राप्ति के उद्देश्‍य से यह व्रत रखा जाता है.

शुभ मुहूर्त : सुबह 07:49 बजे से सुबह 09:06 तक

 28 जनवरी- पौष पूर्णिमा व्रत

हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का व्रत रखने का विशेष महत्‍व है. पौष माह में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को पौष पूर्णिमा कहा जाता है. इस दिन चंद्रमा अपने पूर्ण आकार में होता है. शास्‍त्रों में इस दिन भी दान-दक्षिणा और धार्मिक कर्मकांड करने का विधान बताया गया है. आप इस दिन पवित्र नदियों में स्‍नान भी कर सकते हैं. लोग इस दिन भगवान मधुसूदन, जो जगतपिता नारायण का स्‍वरूप है उनकी पूजा करते हैं.

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