गृह- कलेश को दूर करने में मददगार है भगवान बुद्ध की प्रतिमा जानें इन्हे जगहों पर रखें

हर व्यक्ति जीवन में सुख-शांति चाहता है.

Update: 2021-06-28 08:42 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | हर व्यक्ति जीवन में सुख-शांति चाहता है. इसके लिए लोग तरह- तरह के उपाय करते हैं. कई बार परिवार के सदस्यों में छोटी- छोटी बातों को लेकर झगड़े होते हैं, इससे घर में तनाव बढ़ता है. कई बार इन समस्याओं का कारण वास्तु दोष होता है. वास्तु शास्त्र में हर चीज को रखने का एक सही दिशा और तरीका होता है. इसके अलावा वास्तु शास्त्र में कुछ उपायों के बारे में बताया गया है जिससे घर की अशांति को दूर किया जा सकता है. इससे घर में सुख- समृद्धि आती है. वास्तु दोष की समस्या से छुटकारा पाने के लिए आप घर में भगवान बुद्ध की प्रतिमा रख सकते हैं.

भगवान बुद्ध की प्रतिमा आप घर में साज- सजावट में लगा सकते हैं. इससे न केवल घर की खूबसूरती बढ़ती है बल्कि मानसिक शांति भी प्राप्त होती है, साथ ही आपके घर में सुख- समृद्धि बनी रहती हैं. आइए जानते हैं भगवान बुद्ध की प्रतिमा कैसे और किस जगह पर रखने से आपको मिल सकता है.
घर का मुख्य दरवाजा
वास्तु के अनुसार, घर के मुख्य द्वार पर भगवान बुद्धि की प्रतिमा रक्षा की मुद्रा में स्थापित करना चाहिए. रक्षा मुद्रा मे भगवान बुद्ध का एक हाथ आशीर्वाद के रूप में तो दूसरा हाथ रक्षार्थ होता है. भगवान बुद्ध की प्रतिमा दीवार से 4 से 5 किलोमीटर ऊपर लगानी चाहिए.
लिविंग रूम
वास्तु के अनुसार, लिविंग रूम में भगवान बुद्ध की प्रतिमा दायी तरफ झुकी होनी चाहिए. प्रतिमा इस तरह लगाएं कि भगवान का मुख पश्चिम दिशा में होना चाहिए. आप इसे मेज पर रख सकते हैं. इससे घर में सुख और समृद्धि बनी रहती है.
पूजा की जगह पर
भगवान बुद्ध की प्रतिमा मंदिर में रखने से पूजा के समय ध्यान लगता है. इस प्रतिमा का मुख पूर्व दिशा में होना चाहिए. इसके साथ इस बात का ध्यान भी रखें कि आंखों के स्तर के नीचे प्रतिमा नहीं लगना चाहिए. इससे नीचे रखना अशुभ होता है. बुद्ध की प्रतिमा रखने से घर में सकारात्मकता बढ़ती है.
बच्चों के कमर में
बाजार में भगवान बुद्ध की प्रतिमा अलग- अलग मुद्रा में मिलती है आप बच्चों के कमरे में लेटे हुए या छोटे सिर वाले भगवान बुद्ध की तस्वीर रख सकते हैं. इससे उनका पढ़ाई में ध्यान लगता और सफलता मिलने की संभावना बढ़ती है.
नोट- यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.


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