Guru Ravidas jayanti 2021: 27 फरवरी को मनाई जाती है रविदास जयंती, जानिए उनके अनमोल वचन

हर वर्ष माघ मास की पूर्णिमा तिथि पर संत रविदास (रैदास) जयंती मनाई जाती है।

Update: 2021-02-14 14:48 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: हर वर्ष माघ मास की पूर्णिमा तिथि पर संत रविदास (रैदास) जयंती मनाई जाती है। इस बार संत रविदास जयंती 27 फरवरी को मनाई जाएगी। इस दिन इनके अनुयाई पवित्र नदी में स्नान करते हैं। भजन-कीर्तन और रविदास जी के दोहे गाते हैं। इस दिन इनके जन्म स्थान पर इनके बहुत सारे भक्त पहुंचते हैं और इस दिन को उत्सव की तरह मनाते हैं। जूते बनाने का काम इनका पैतृक व्यवसाय था। ये जूते बनाते समय इतने मग्न हो जाते थे जैसे स्वयं भगवान के लिए बनारहे हो। संत रविदास जी एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने भगवान की भक्ति में समर्पित होने के साथ अपने सामाजिक और पारिवारिक कर्त्तव्यों का भी बखूबी निर्वहन किया। इन्होंने लोगों को बिना भेदभाव के आपस में प्रेम करने की शिक्षा दी, और इसी तरह से वे भक्ति के मार्ग पर चलकर संत रविदास कहलाए। उनकी शिक्षाएं आज भी प्रेरणादायक हैं। तो चलिए उनकी जयंती पर जानते हैं उनके कुछ अनमोल वचन...

'मन चंगा तो कठौती में गंगा' उनका यह प्रसंग बहुत लोकप्रिय है, इसका अर्थ है कि यदि मन पवित्र है और जो अपना कार्य करते हुए, ईश्वर की भक्ति में तल्लीन रहते हैं उनके लिए उससे बढ़कर कोई तीर्थ स्नान नहीं है।

रविदास जन्म के कारनै, होत न कोउ नीच।

नकर कूं नीच करि डारी है, ओछे करम की कीच।।
इसका अर्थ है कि 'कोई भी व्यक्ति छोटा या बड़ा अपने जन्म के कारण नहीं बल्कि अपने कर्म के कारण होता है। व्यक्ति के कर्म ही उसे ऊंचा या नीचा बनाते हैं। संत रविदास जी सभी को एक समान भाव से रहने की शिक्षा देते थे।

कभी भी अपने अंदर अभिमान को जन्म न लेने दें। इस छोटी सी चींटी शक्कर के दानों को उठा सकती है परंतु एक हाथी इतना विशालकाय और ताकतवर होने के बाद भी ऐसा नहीं कर सकता।

करम बंधन में बन्ध रहियो, फल की ना तज्जियो आस

कर्म मानुष का धर्म है, सत् भाखै रविदास
कर्म हमारा धर्म है और फल हमारा सौभाग्य। इसलिए हमें हमेशा कर्म करते रहना चाहिए और कर्म से मिलने वाले फल की आशा नहीं छोड़नी चाहिए।


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