भगवान श‍िव देते हैं मनचाहे जीवनसाथी का वरदान, इन मंत्रों के साथ ऐसे करें पूजा

सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है. ऐसे में कहा जाता है कि अगर सोमवार को भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा की जाए तो सारे कष्टों से मुक्ति मिलती है

Update: 2020-10-12 02:15 GMT

भगवान श‍िव देते हैं मनचाहे जीवनसाथी का वरदान, इन मंत्रों के साथ ऐसे करें पूजा

जनता से रिश्ता वेबडेस्कसोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है. ऐसे में कहा जाता है कि अगर सोमवार को भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा की जाए तो सारे कष्टोंसे मुक्ति मिलती है और सभी मनोकामना पूरी होती है. शिव सदा अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं. मान्यता है कि भगवान शिव को खुश करने के लिए सोमवार को सुबह उठकर स्नान करके भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए. ऐसी मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से भोले भगवान की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. अधिकतर कुंवारी लड़कियां सोमवार क व्रत रखती हैं और शिव शंकर की पूजा करती हैं. मान्यता के अनुसार, ऐसा करने पर उन्हें मन चाहे वर की प्राप्ति होती है. आइए आपको बताते हैं कि सोमवार के दिन पूजा करते समय अगर कुछ खास उपाय किए जाएं तो इंसान का भाग्य बदल सकता है. उन्हें अपना मनपसंद जीवनसाथी मिल सकता है.

सोमवार का दिन भगवान शिव का माना जाता है. ऐसे में सोमवार को एक समय रात्रि में भोजन के व्रत का संकल्प लें और शाम को शिवलिंग पर जल चढ़ाए. जल चढ़ाते समय 'ऊँ महाशिवाय सोमाय नमः' मंत्र का जाप करें. इसके बाद शिवजी पर गाय का दूध चढ़ाएं. साथ ही शहद की धारा भी अर्पित करें. इसके बाद शिवजी को लाल चंदन लगाएं.

सबसे आखिर में भगवान शिव की आरती करें. ऐसे करने से आपके मन की सभी कामनाएं पूरी होंगी. कभी भी धन की कमी नहीं होगी, कलह से छुटकार मिलेगा. मनचाहा जीवनसाथी मिलेगा. साथ ही नौकरी और व्यवसाय से जुड़ी समस्याओं का भी अंत हो जाएगा. भगवान शिव बेहद क्रोध वाले देवता माने जाते हैं लेकिन इसके साथ ही उन्हें सबसे जल्दी प्रसन्न और कृपा होने वाला देवता भी माने जाते हैं. भगवान शिव की भक्ति बिना मन्त्रों के अधूरी है. आइए जानते हैं भगवान शिव के प्रभावशाली मन्त्रों के बारे में.

महामृत्युंजय मंत्र

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

शिव जी का मूल मंत्र

ऊँ नम: शिवाय।।

भगवान शिव के प्रभावशाली मंत्र-

 ओम साधो जातये नम:।।

 ओम वाम देवाय नम:।।

 ओम अघोराय नम:।।

 ओम तत्पुरूषाय नम:।।

ओम ईशानाय नम:।।

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