भाद्रपद पूर्णिमा पर माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए अपनाएं ये उपाय

हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है.

Update: 2021-09-20 03:17 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क।  हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है. भादों मास में पड़ने वाली पूर्णिमा को भाद्रपद पूर्णिमा (Bhadrapada Purnima) कहते हैं. इस महीने की पूर्णिमा तिथि से श्राद्ध शुरू हो जाते हैं. आज भादों मास की भाद्रपद पूर्णिमा है. इस दिन चंद्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है. इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है और भगवान सत्यनारायण की पूजा होती है. पूर्णिमा के दिन सुबह 05 बजकर 28 मिनट से शुरू होगा जिसका समापन 21 सितंबर 2021 को सुबह 05 बजकर 24 मिनट पर होगा.

भादों मास में पूर्णिमा (Purnima) के दिन पवित्र नदी में स्नान करना बहुत शुभ होता है. इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा और व्रत रखने वालों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. इस दिन विशेष उपायों को करने से आपके घर की सभी परेशानियां जल्द दूर हो जाएगी.

शास्त्रों के अनुसार, पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करना शुभ होता है. मान्यता है कि इस दिन सुबह- सुबह पीपल के पेड़ में धूप- दीप और फूल अर्पित करना चाहिए. ऐसा करने से माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलेगा और आपकी सभी परेशानियां दूर हो जाएगी.

आर्थिक समस्याओं से पाएं छुटकारा

अगर आप आर्थिक समस्या से परेशान हैं तो पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय होने पर कच्चा दूध, चावल,चीनी मिला लें और ऊं स्त्रां स्त्रीं स: चन्द्रमसे नम: मंत्र का जाप करते हुए अर्घ्य दें. इस उपाय को करने से नौकरी और व्यापार में तरक्की मिलेगी. इसके अलावा अगर दंपति एक साथ चंद्रमा को अर्घ्य देते हैं तो सभी परेशानियां दूर हो जाएगी. अर्घ्य देना स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है.

धन में होगी वृद्धि

भाद्र पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी की मूर्ति और तस्वीर के सामने 11 कौड़ियों पर हल्दी का लेप लगाकर माता लक्ष्मी को चढ़ाएं. इसके बाद कनकाधारा स्त्रोत का पाठ करें. इन कौड़ियों को लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी और अलमारी में रखने से धन में वृद्धि होगी.

सफेद चीजों का दान करें

पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी को इत्र, सुंगधित चंदन अर्पित करें. इस दिन व्यापार के स्थल पर यंत्र स्थापित करना शुभ होता है. इस दिन सफेद रंग की वस्तुओं दूध, सफेद मिठाई, चांदी और सफेद वस्त्रों का दान कराने से धन की प्राप्ति होती है.

(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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