जानिए हरियाली तीज के लोकगीत

हिंदू धर्म में हरियाली तीज का खास महत्व है. हिंदू पंचाग के अनुसार सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज मनाई जाती है

Update: 2022-07-30 06:32 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क।    हिंदू धर्म में हरियाली तीज का खास महत्व है. हिंदू पंचाग के अनुसार सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज मनाई जाती है. इस त्योहार पर भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा की जाती है. आपको बता दें कि इस दिन शादिशुदा महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. इस दिन महिलाएं मेहंदी लगाती हैं और साज-संवरती हैं.

हरियाली तीज के लोकगीत
नांनी नांनी बूंदियां
नांनी नांनी बूंदियां हे सावन का मेरा झूलणा,
एक झूला डाला मैंने बाबल के राज में,
बाबुल के राज में…
संग की सहेली हे सावन का मेरा झूलणा,
नांनी नांनी बूंदियां हे सावन का मेरा झूलणा.
ए झूला डाला मैंने भैया के राज में,
भैया के राज में…
गोद भतीजा हे सावन का मेरा झूलणा,
नांनी नांनी बूंदियां हे सावन का मेरा झूलणा…
हरियाली तीज
अम्मा मेरी रंग भरा जी, ए जी आई है हरियाली तीज.
घर-घर झूला झूलें कामिनी जी, बन बन मोर पपीहा बोलता जी.
एजी कोई गावत गीत मल्हार,सावन आया…
कोयल कूकत अम्बुआ की डार पें जी, बादल गरजे, चमके बिजली जी.
एजी कोई उठी है घटा घनघोर, थर-थर हिवड़ा अम्मा मेरी कांपता जी.
सावन आया…
पांच सुपारी नारियल हाथ में जी, एजी कोई पंडित तो पूछन जाएं.
कितने दिनों में आवें लष्करीया जी, पतरा तो लेकर पंडित देखता जी.
ए जी कोई जितने पीपल के पात, उतने दिनों मे आवें लश्करीया जी.
इतने में कुण्डा अम्मां मोरी खड़कियां जी, एजी कोई घोड़ा तो हिनसाद्वार.
टगटग महलों आए लष्करीया जी, घोड़ा तो बांधों बांदी घुड़साल में जी.
एजी कोई चाबुक रखियो संभाल, सावन आया…
पैर पखारू उजले दूध में जी, हिलमिल सखियां झूला झूलती जी.
एजी कोई हंस हंस झोटे देय, सावन आया रंग-भरा जी.
अम्मा मेरे बाबा को भेजो री, कि सावन आया कि सावन आया कि सावन आया…
बेटी तेरा बाबा तो बूढ़ा री, कि सावन आया कि सावन आया कि सावन आया…
अम्मा मेरे भैया को भेजो री…
बेटी तेरा भैया तो बाला री, सावन आया, सावन आया…
सावन का महीना
सावन का महीना, झुलावे चित चोर, धीरे झूलो राधे पवन करे शोर,
मनवा घबराये मोरा बहे पूरवैया, झूला डाला है नीचे कदम्ब की छैयां…
कारी अंधियारी घटा है घनघोर, धीरे झूलो राधे पवन करे शोर,
सखियां करे क्या जाने हमको इशारा, मन्द मन्द बहे जल यमुना की धारा…
श्री राधेजी के आगे चले ना कोई जोर, धीरे झूलो राधे, पवन करे शोर,
मेघवा तो गरजे देखो बोले कोयल कारी, पाछवा में पायल बाजे नाचे बृज की नारी…
श्री राधे परती वारो हिमरवाकी और, धीरे झूलो राधे पवन करे शोर,
सावन का महीना झूलावे चित चोर…
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