2021 का पहला खरमास, जानें महत्व, कथा और क्या करें क्या ना करें
सूर्य के मीन राशि में गोचर
जनता से रिश्ता वेबडेस्क: सूर्य के मीन राशि में गोचर होने के बाद से खरमास महीने की शुरुआत हो गई है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, नवग्रहों के राजा सूर्य जब-जब देवताओं के गुरु बृहस्पति देव की राशि धनु और मीन में गोचर करते हैं, तब-तब खरमास का महीना लगता है। हिंदू धर्म में जिस तरह श्राद्ध और चार्तुमास में कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते, ठीक उसी तरह खरमास में भी कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है। हालांकि खरमास के महीने में पूजा-पाठ, दान-पुण्य आदि धार्मिक कार्यों का विशेष महत्व बताया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, खरमास के माह में किए जाने वाले पूजा-पाठ और दान-पुण्य के कार्य से सभी परेशानियों से छुटकारा मिलता है और जीवन में सुख-शांति का वास होता है।
कब-कब लगता है खरमास
साल में खरमास का महीने दो बार लगता है। सूर्य जब धनु और मीन राशि में आते हैं, तभी खरमास का महीना लगता है। चूंकि 14 मार्च को सूर्य मीन राशि में गोचर कर चुके हैं इसलिए खरमास लगा है। सूर्य किसी भी राशि में एक महीने के लिए रहते हैं इसलिए एक महीने बाद सूर्य मीन राशि से निकलकर 14 अप्रैल को मेष राशि में प्रवेश करेंगे तो खरमास का महीना भी खत्म हो जाएगा।
खरमास की कथा
संस्कृत में खर का अर्थ होता है गधा और मास का अर्थ है महीना। खरमास के महीने की कथा भी गधे से संबंधित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एकबार सूर्यदेव अपने सात घोड़ों के रथ पर बैठकर ब्रह्मांड की परिक्रमा कर रहे थे। परिक्रमा के दौरान सूर्यदेव को कहीं भी रुकने की इजाजत नहीं थी क्योंकि वह अगर कहीं भी रुक जाते तो पूरा जनजीवन रुक जाता। रथ के घौड़े लगातार चलते रहने की वजह से उनको प्यास लग आई और वे थककर रुक गए। घोड़े की ऐसी दुर्दशा देखकर सूर्यदेव भी चिंतित होने लगे, ऐसे में वह एक तालाब के किनारे रुक गए। तालाब के किनारे उन्होंने घोड़ों को पानी पीलाया और खुद भी रुक गए। तभी उनको आभास हुआ कि ऐसा करने से कुछ अनर्थ न हो जाए तब उनको तालाब के किनारे दो गधे खड़े नजर आए। उन्होंने घोड़ों की जगह खरों को रथ से जोड़ दिया और घोड़ों को वहीं विश्राम के लिए छोड़ दिया। खरों की वजह से रथ की गति काफी धीमी हो गई। हालांकि जैसे-तैसे करके एक महीने का समय पूरा हुआ। तब सूर्यदेव ने विश्राम कर रहे घोड़ों को रथ में लगा दिया और खरों का निकाल दिया। इस तरह हर साल यह क्रम चलता रहता है। हर सौर-वर्ष में एकबार खरमास का महीना लगता है।
खरमास के माह में क्या करें
1- खरमास के महीने में हर रोज सूर्य पूजा करना और आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है। इस माह में आप लक्ष्मी नारायण की पूजा करके विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ कर सकते हैं और दान-पुण्य का कार्य करना विशेष फलदायी माना गया है।
2- खरमास में ईष्ट देवों की पूजा-पाठ करना और उनके नाम से दान-पुण्य के कार्य करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं।
3– खरमास के महीने में गरीब व जरूरतमदों की मदद करने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और घर में मां लक्ष्मी का वास होता है।
4- खरमास के मास में यथाशक्ति द्वारा दान-पुण्य का कार्य करने से कुंडली में स्थिति अशुभ ग्रहों के प्रभाव से मुक्ति मिलती है और शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही इस मास में जप-तप और मंत्रों का उच्चारण करना भी काफी फलदायी साबित होता है।
खरमास के माह में क्या न करें
1- खरमास के महीने में मांगलिक कार्यक्रम जैसे मुंडन, गृह प्रवेश, विवाह आदि संस्कार कार्य नहीं किए जाते हैं। इसके साथ ही बहू-बेटियों की विदाई नहीं की जाती और कोई भी नया कार्य शुरू नहीं किया जाता।
2- खरमास के महीने में मकान, जमीन, प्लॉट या रियल स्टेट से जुड़ी चीजें खरीदने की मनाही है। इसके साथ ही आप सूर्य और गुरु ग्रह से संबंधित चीजें भी खरीदने से बचें।
3- खरमास के महीने में नए कपड़े और आभूषण भी नहीं पहन सकते लेकिन आप इनको खरीदना चाहें तो खरीद सकते हैं।
4- खरमास के महीने में अगर संभव हो तो गेहूं, चावल, मूंग दाल, जीरा, आम, सुपारी, सेंधा नमक, सौंठ, जौं, तिल आदिन नहीं खाना चाहिए। साथ ही वाद-विवाद और बहसबाजी से बचना चाहिए।