17 फरवरी से शुरू हो रहा है फाल्गुन मास, जानें पूजा और दान का महत्व

हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास हिन्दू वर्ष का अंतिम माह होता है। इस महीने की पूर्णिमा को फाल्गुनी नक्षत्र होने के कारण इस महीने का नाम फाल्गुन है। इस महीने को आनंद और उल्लास का महीना कहा जाता है।

Update: 2022-02-14 01:48 GMT

हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास हिन्दू वर्ष का अंतिम माह होता है। इस महीने की पूर्णिमा को फाल्गुनी नक्षत्र होने के कारण इस महीने का नाम फाल्गुन है। इस महीने को आनंद और उल्लास का महीना कहा जाता है। इस महीने से धीरे धीरे गरमी की शुरुआत होती है और सर्दी कम होने लगती है। फाल्गुन मास में महाशिवरात्रि और रंगों कर त्योहार होली भी आता है। इस वर्ष फाल्गुन का यह महीना 17 फरवरी से प्रारंभ हो रहा है। जो कि 18 मार्च तक रहेगा। फाल्गुन मास का धार्मिक महत्व के साथ आध्यात्मिक महत्व भी है। आइए जानते हैं फाल्गुन मास में किस पूजा और दान से हमारा कल्याण होता है।

वैसे तो साल के 12 महीने हम किसी भी देवी देवता की आराधना करते हैं। लेकिन कुछ महीने ऐसे हैं जिनमें भगवान की खास आराधना की जाती है। मान्यता है कि रोगों से मुक्ति पाने के लिए फाल्गुन का माह उत्तम होता है। इस माह में भोलेशंकर को सफेद चंदन अर्पित करने से स्वास्थ्य लाभ होता है। साथ ही, मां लक्ष्मी की पूजा से आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है।

फाल्गुन मास का धार्मिक महत्व इस बात से भी सिद्ध हो जाता है कि इस माह में भगवान विष्णु और भगवान शंकर से जुड़े दो बाद पर्व आते हैं। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाई जाती है। इसी प्रकार फाल्गुन शुक्ल एकादशी को भगवान विष्णु का आशीर्वाद दिलाने वाली आमलकी एकादशी का व्रत आता है।

फाल्गुन मास में भगवान कृष्ण की पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है यदि इस महीने में भगवान कृष्ण के तीन स्वरूप अर्थात बाल कृष्ण, युवा कृष्ण और गुरु कृष्ण की पूजा की जाए तो उनकी सभी कामना पूर्ण होती है। यदि किसी को संतान सुख चाहिए तो वह बाल गोपाल की आराधना करें , जिन्हें अपने दाम्पत्य जीवन में सुख चाहिए तो उन्हें युवा कृष्ण की और जिन्हे जीवन में मोक्ष और वैराग्य की तलाश है, उन्हें गुरू कृष्ण की साधना करनी चाहिए।

जिस प्रकार माघ मास में दान का महत्व है ठीक उसी प्रकार फाल्गुन के महीने में दान का धार्मिक महत्व है।अपनी क्षमता एवं श्रद्धानुसार के अनुसार गरीबों को दान और पितरों के निमित्त तर्पण आदि जरूर करना चाहिए। फाल्गुन मास में शुद्ध घी, तिल, सरसों का तेल, मौसमी फल आदि का दान अत्यंत ही पुण्य फल प्रदान करने वाला माना गया है।

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