कलश स्थापन कल, जरूर करें ये आसान उपाय
मातृरूप में प्रकृति की आद्य मौलिक शक्ति -साक्षात् ब्रह्माणी पराम्बा भगवती की आराधना एवं जन-जन में मर्यादा पुरुषोत्तम राम के चरित गान का पखवारा तथा शारदीय नवरात्र का आरंभ इस वर्ष छब्बीस सितम्बर सोमवार से हो रहा है।
मातृरूप में प्रकृति की आद्य मौलिक शक्ति -साक्षात् ब्रह्माणी पराम्बा भगवती की आराधना एवं जन-जन में मर्यादा पुरुषोत्तम राम के चरित गान का पखवारा तथा शारदीय नवरात्र का आरंभ इस वर्ष छब्बीस सितम्बर सोमवार से हो रहा है।
शारदीय नवरात्र को लेकर मां दुुर्गा सहित अन्य देवी-देवताओं की पूजा नगर के दुर्गा मंदिरों सेे लेकर गांवों तक भक्तिभाव से की जायेगी। इस दिन कलश स्थापन सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक कभी भी किया जा सकता है। छोटा बरियारपुर अवस्थित वेद विद्यालय के प्रधानाचार्य सुशील कुमार पाण्डेय तथा राजा बाजार शाकंभरी मंदिर के आचार्य पं.दयानंद मिश्रा बताते हैं कि शारदीय नवरात्र की प्रतिपदा तिथि सोमवार को पड़ने से माता का आगमन हाथी पर होगा ,जो जनमानस के लिए शुभ फलकारक है। उन्होंने बताया कि आद्यशक्ति भगवती जगदम्बा को समर्पित इस शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा के नवों स्वरुपों को विभिन्न आयामों तथा मुद्राओं में नगर सहित जिले के पूजा पंडालों में प्रदर्शित किया जायेगा।
नौ दिनों का है नवरात्र : इस वर्ष शारदीय नवरात्र पूरे नौ दिनों का है। शारदीय नवरात्र पूजन के अन्तर्गत बिल्वाभिमंत्रण के लिए 01 अक्टूबर शनिवार को सायंकाल प्रशस्त मुहूर्त्त है। वहीं दो अक्टूबर रविवार को नवपत्रिका प्रवेश के साथ देवी का पट खुलना प्रारंभ हो जाएगा। महानिशा पूजा दो अक्टूबर रविवार को ही मध्यरात्रि में सम्पन्न होगी। महा अष्टमी व्रत का मान तीन अक्टूबर सोमवार को होगा। महा नवमी व्रत चार अक्टूबर मंगलवार को किया जाएगा तथा इसी दिन नवरात्र से संबंधित दुर्गा सप्तशती पाठ, महा नवमी पूजा,हवन-पूर्णाहुति, बटुक-कुमारी पूजन आदि कर नवरात्र अनुष्ठान का समापन कर लिया जाएगा। विजया दशमी का प्रसिद्ध पर्व पांच अक्टूबर बुधवार को मनाया जाएगा।
करें दुर्गा सप्तशती का पाठ
शारदीय नवरात्र अवधि में प्रत्येक परिवार में कलशस्थापन के साथ मां की पूजा विधि विधान से होनी चाहिए। इससे सभी प्रकार के विघ्नों की समाप्ति तथा परिवार में सुख-शांति कायम रहती है। नवरात्र में प्रतिदिन कवच, अर्गला तथा कीलकम् का पाठ करने के बाद ही सप्तशती का पाठ किया जाना चाहिए। नवरात्र अवधि में सप्तशती का पाठ प्रतिदिन करने से सभी कामनाओं की पूर्ति के साथ ही सामूहिक कल्याण, पापनाश,भयनाश, विश्वरक्षा, महामारी नाश,आरोग्य, सौभाग्य प्राप्ति,धन प्राप्ति, पुत्र प्राप्ति, बाधा शांति तथा मोक्ष की प्राप्ति के साथ सभी प्रकार से रक्षा की प्राप्ति हो सकती है। जिस कामना से हम मां की आराधना करेंगे,उसकी अवश्य प्राप्ति होती है।
तिथि के अनुसार लगाएं भोग
प्रतिपदा-गाय का घी, द्वितीया-मिश्री, तृतीया-गाय का दूध,चतुर्थी-मालपुआ, पंचमी-पका केला,षष्ठी-मधु,सप्तमी-गुड़, अष्टमी -नारियल, नवमी-धान का लावा, दशमी-काले तिल का लड्डू।