झारखंड का सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक करमा पूजा 25 सितंबर 2023 को मनाया जाएगा। यह त्योहार झारखंड-बिहार के अलावा छत्तीसगढ़, उड़ीसा, बंगाल, असम में बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। मान्यता है कि यह भाई-बहन का पर्व है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के लिए व्रत रखकर सुख-समृद्धि की कामना करती हैं और उनकी लंबी उम्र के लिए पूजा-अराधना करती हैं। इसके अलावा इसे प्रकृति पूजा के प्रतीक के रूप में भी जाना जाता है। वहीं करमा पूजा के दिन पूरी रात लोक नृत्य और गीतों का आनंद लिया जाता है। तो चलिए जानते हैं करमा पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व।
करमा पूजा का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल करमा पूजा भाद्रमाह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 04 बजे के बाद से शूरू है। अगले दिन यानी 26 सितंबर को सूर्योदय के बाद करमा पूजा का पारण कर लें।
पूजा विधि
करमा पूजा के दिन बांस की बनी डाली को सजाकर घर के आंगन में रखा जाता है। उसके बाद करम वृक्ष के पेड़ को घर के आंगन मे गाड़ा जाता है। फिर इस पेड़ के चारो तरफ घर की महिलाएं बैठकर पूजा करती हैं। इसके साथ ही अपने भाइयों के लिए सुख-समृद्धि और लंबी वायु की कामना करती है। इस दिन रात में जागरण का भी परम्परा है।
करमा पूजा महत्व
झारखंड का लोकप्रिय पर्व में से एक करमा पूजा के लिए झारखंड वासी काफी बेसब्री से इंतजार करते हैं। जिस तरह रक्षाबंधन भाई-बहनों का त्योहार है ठीक उसी प्रकार करमा पूजा भी भाइयों और बहनों के लिए मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाईयों के लिए लंबी उम्र की कामना करती हैं। इसके साथ ही बहनें पूरे दिन व्रत रखकर करमा देवता की पूजा करती है।