हिन्दू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है,सफलता एकादशी के दिन करें भगवान विष्णु के इन मंत्रो का जाप

30 दिसंबर के दिन सफला एकादशी का व्रत रखा जाएगा

Update: 2021-12-23 12:41 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पौष माह (Paush Month) के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि (Ekadashi 2021) को पड़ने वाली एकादशी को सफला एकादशी ( Saphala Ekadashi 2021) के नाम से जाना जाता है. हिंदू धर्म में एकादशी (Ekadashi Vrat In Hindu Dharam) का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिन विधिवत्त व्रत और पूजा करने से भगवान विष्णु (Lord Vishnu Blessings) का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस बार 30 दिसंबर के दिन सफला एकादशी का व्रत (Saphala Ekadashi Vrat) रखा जाएगा. ये साल की अंतिम एकादशी (Last Ekadashi Of This Year) है. इस दिन श्री हरि और मां लक्ष्मी की पूजा (Shri Hari And Maa Lakshmi Puja) की जाती है. सफला एकादशी के व्रत(Saphala Ekadashi) को लेकर मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को सहस्त्र वर्ष की तपस्या से प्राप्त होने वाले पुण्य के समतुल्य फल की प्राप्ति होती है.

धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति के दुखों का नाश होता है. और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है. इस दिन रात्रि में भजन कीर्तन आदि करने का विधान है. भगवान का ध्यान और उपासना करने से मृत्यु के बाद बैकुंठ की प्राप्ति होती है. इस दिन पूजा-अर्चना और आरती के बाद भगवान विष्णु के निम्न मंत्रों का जाप अवश्य करें.
सफला एकादशी के दिन करें भगवान विष्णु मंत्र जाप (Lord Visnhu Mantra Jaap On Saphla Ekadashi 2021)
1. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
2. ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीवासुदेवाय नमः
3. ॐ नमो नारायणाय
4. लक्ष्मी विनायक मंत्र -
दन्ताभये चक्र दरो दधानं,
कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया
लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।
5. धन-वैभव मंत्र -
ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।
ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।
6. शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥
7. ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान।
यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।
8. ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान।
यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।
9. या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।
या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥
या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।
सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती॥
10. लक्ष्मी स्त्रोत
श्रियमुनिन्द्रपद्माक्षीं विष्णुवक्षःस्थलस्थिताम्॥
वन्दे पद्ममुखीं देवीं पद्मनाभप्रियाम्यहम्॥


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