Eid-ul-Fitr 2021 : जानिए क्या कोरोना की वजह से ईद की नमाज घर पर पढ़ी जा सकती है या नहीं?
अलविदा या शहरुल रमजान-अलविदा की सदाओं के साथ माहे रमजान का आखिरी जुमा मुकम्मल हुआ।
अलविदा …अलविदा या शहरुल रमजान-अलविदा की सदाओं के साथ माहे रमजान का आखिरी जुमा मुकम्मल हुआ। ये सदाएं जामा मस्जिदों से नहीं, बल्कि घरों से बुलंद हुईं। रमजान की रुख्सती में महज चंद दिन बाकी हैं। ऐसे में रोजेदारों के आंखें नम रहीं। लॉकडाउन का खयाल रखते हुए नमाजियों ने मस्जिदों का रुख नहीं किया। पुरुषों के अलावा महिलाओं ने भी घर में अलविदा जुमा की नमाज अदा की। इसके बाद कुरआन-ए-पाक के सूरहों और दुआओं का सिलसिला भी जारी रहा। अलविदा जुमा पर उलमा ने वेबिनार और मस्जिदों से लोगों से कोरोना प्रोटोकॉल के पालन की अपील की। इसके साथ ईद पर घर में रहने की भी अपील की। रोजेदारों के लिए चल रही शिया-सुन्नी रमजान हेल्पलाइन पर उलमा ने यह ताकीद की।
सुन्नी
सवाल: एक इंसान ने जकात की रकम देने के लिए निकाली, लेकिन ठीक उसी वक्त उसे जरूरत पड़ गई तो क्या वह जकात की रकम कर्ज के तौर पर ले सकता है?
जवाब: जकात की रकम का तो वही मालिक है, जब तक अदा नहीं कर देता, उसका इस्तेमाल करना सही है।
सवाल: क्या पूरे महीने के रोजों का फिदया एक साथ दिया जा सकता है?
जवाब: जी, हां।
सवाल: क्या रेडियो, टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन, मोटरसाइकल पर भी जकात है?
जवाब: इन पर जकात नहीं, लेकिन जेवरात पर जकात है, चाहे वह इस्तेमाल हों या नहीं, जबकि निसाब को पहुंच रहे हों।
सवाल: सदका-ए-फित्र किसकी तरफ से देना वाजिब है?
जवाब: अपनी और अपनी नाबालिग औलाद की तरफ से निकालना वाजिब है।
सवाल: किसी के पास चार पहिया गाड़ी है तो क्या उस पर भी जकात है?
जवाब: जो गाड़ी निजी इस्तिमाल के लिए हो, उस पर जकात नहीं है।
सवाल: जो चार रकात सुन्नत पढ़ते हैं, उसमें अल्हम्दु के बाद सूरत चारों में मिलानी होती है या सिर्फ दो में?
जवाब: सुन्नत की चारों रकात में अल्हम्दु के बाद सूरत मिलाना जरूरी है।
सवाल: मेरे पास मदरसे की जकात का पैसा रखा है क्या उस रकम से किसी जरूरतमंद को राशन दिलवा सकते हैं?
जवाब: जी हां, दिलवा सकते हैं।
सवाल: क्या तहज्जुद की नमाज पढ़ने के लिए सोना जरूरी है?
जवाब: तहज्जुद की नमाज के लिए सोना बेहतर है। नहीं सोए हैं तो भी नमाज पढ़ सकते हैं।
सवाल: क्या ईद की नमाज घर पर पढ़ी जा सकती है?
जवाब: जिस तरह जुमा की नमाज घर पर नहीं पढ़ी जा सकती, उसी तरह ईद की नमाज भी घर पर नहीं पढ़ सकते।
सवाल: बैंक इंटरेस्ट का पैसा लेकर किसी गरीब को दे सकते हैं ?
जवाब: बगैर सवाब की नीयत से दिया जा सकता है या किसी जरूरतमंद की मदद की जा सकती है।
शिया
सवाल: क्या नमाज पढ़ाने वाले का आगे खड़ा होना जरूरी है, तभी जमाअत होगी ?
जवाब: नमाजे जमाअत के लिए इमामे जमाअत का थोड़ा आगे खड़ा होना भी काफी है।
सवाल: ऐतिकाफ जो तीन दिन का होता है, उसमें बीच से उठा जाए तो क्या हुक्म है?
जवाब: अगर आपने दो दिन पूरे नही किए हैं तो उठ सकते हैं, लेकिन दो दिन बैठ लिए तो वाजिब है कि ऐतिकाफ पूरा करें।
सवाल: जिस इंसान के मसाने या गुर्दे में पथरी हो, उसके लिए रोजे का क्या हुक्म है ?
जवाब: रोजा रखना उसके लिए नुकसान देह हो तो छोड़ सकता है।
सवाल: क्या पत्नी का फिदया पति पर अनिवार्य है?
जवाब: पत्नी का फिदया पति पर और घर के वह लोग जिनकी जिम्मेदारी घर के मुखिया पर है, उस पर वाजिब नहीं है।
सवाल: क्या औरतों का वह चादर ओढ़ना, जो इस समय प्रचलित है, सही है?
जवाब: इस्लाम ने औरत को बदन छुपाने का हुक्म दिया है। अगर चादर ऐसी हो, जिससे पूरा बदन छुप जाए तो कोई हर्ज नहीं।