राहु-केतु का प्रभाव 2021: कुंडली में राहु-केतु की महादशा जाने कैसा रहेगा
नववर्ष 2021 के आरंभ के समय राहु वृष में और केतु वृश्चिक में गतिशील हैं।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क : नववर्ष 2021 के आरंभ के समय राहु वृष में और केतु वृश्चिक में गतिशील हैं। इस योग की पदचाप जब-जब सुनाई दी है, दुनिया को बेचैनी ने काले बादलों की तरह घेर लिया है, कुछ विचित्र ही घटित हुआ है और सारी दुनिया का दम निकाल गया। तबाह अर्थव्यवस्था, आंदोलन, विवाद, मतभेद, मनभेद, झगड़े, युद्ध, दंगे, मारकाट इस योग का सहज स्वभाव है।
अब से लगभग साढ़े 18 साल पहले जब गुजरात में दंगा हुआ था, राहु वृष और केतु वृश्चिक में ही था। 1 से 8 जून 1984 में जब अमृतसर में ऑपरेशन ब्लू हुआ था, राहु वृष में और केतु वृश्चिक में ही भ्रमणशील थे। 31 अक्टूबर 1984 को जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी की हत्या हुई और उसके बाद दंगे हुए, उस समय भी राहु-केतु इन्हीं राशियों में चलायमान थे। अप्रैल 1965 में जब भारत-पाकिस्तान का युद्ध हुआ था और 11 जनवरी 1966 को जब लालबहादुर शास्त्री की विचित्र परिस्थितियों में मृत्यु हुई थी, तब भी राहु-केतु की यही स्थिति थी। उसके पहले जब भारत आज़ाद हुआ और विभाजन के दरमियान 5 से 10 लाख लोगों की मृत्यु हुई थी। और तब भी राहु वृष में और केतु वृश्चिक में ही भ्रमणशील थे। इस बार भी राहु-केतु के रंग ढंग ठीक नज़र नहीं आ रहे हैं। आंदोलन, झगड़े और विवाद अपना रूप बदलकर राष्ट्र, प्रदेश और नगर के साथ गली मुहल्लों में बिखरते नज़र आएंगे। आंतकवाद भी सर उठाएगा।