Sawan month: जैसा कि, सब जानते हैं जुलाई महीने के साथ ही सावन की शुरुआत भी हो जाती है जहां पर शिवभक्त भगवान शिव की पूजा-अर्चना के लिए तैयारी करने लगते है। इस सावन के महीने में दही का सेवन यानि इससे बनी चीजों का सेवन करने की मनाही होती है। इसके अलावा इस महीने में हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन भी नहीं किया जाता है। आयुर्वेद में इनका सेवन करने की मनाही क्यों है चलिए जानते हैं इसके बारे में।
जानिए क्यों नहीं करते हैं ठंडे दही का सेवन
इसे लेकर Ayurveda में कहा गया कि, श्रावण के महीने में वात बढ़ जाता है, इसलिए शरीर को स्वस्थ रखने के लिए वात को बढ़ाने वाले सभी खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए। इसके अलावा इस महीने में हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करना ही मना ही होता है। इसे लेकर कहा जाता है कि, इन सभी चीजों का सेवन करने से वात औऱ पित्त बढ़ता है। इसके अलावा सर्दी-जुकाम जैसी समस्याएं भी होती है इसलिए इनका सेवन नहीं करना चाहिए। बरसात के मौसम में आपको दही का सेवन नहीं करना चाहिए, मानसून के मौसम में डेयरी उत्पादों में बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ जाती है. बारिश में दही का सेवन नहीं करना चाहिए।
धार्मिक मान्यता में क्यों है दही वर्जित
इसे लेकर धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा गया है कि, सावन में भगवान शिव को कच्चा दूध और दही अर्पित किया जाता है इसलिए इस मास में कच्चा दूध व इससे बनी चीजों का सेवन करना ठीक नहीं माना जाता है। कढ़ी, बिना दही की नहीं बनती है इसका इस्तेमाल तो होता है इसलिए सावन में दूध, दही से संबंधित चीजों का सेवन सही नहीं माना गया है।आयुर्वेद का मानना है कि भादो के महीने में सभी किण्वित खाद्य पदार्थों, विशेष रूप से दही से परहेज करना चाहिए, क्योंकि इस समय पित्त बढ़ता है और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा होती हैं।
कई प्रकार की बनाई जाती है कढ़ी
आपको बताते चलें, कढ़ी का सेवन करना हर किसी को पसंद होता है इसलिए इसे तरह-तरह से बनाना पसंद करते है। इसमें पकोड़े वाली कढ़ी हर किसी की पसंद होती है जिसकी खासियत पंजाब में ज्यादा होती है।