देवगुरु बृहस्पति के अवतार थे द्रोणाचार्य, जानें इसके पौराणिक कथा
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान समय-समय पर अवतार लेते रहते हैं. द्वापर और कलियुग में भी दवताओं के अवतार हुए हैं
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान समय-समय पर अवतार लेते रहते हैं. द्वापर और कलियुग में भी दवताओं के अवतार हुए हैं. महाभारत की कहानी अद्भुत है. कहते हैं कि महाभारत के लगभग सभी पात्र देवता, यक्ष, गंधर्व, रूद, वसु, अप्सरा और ऋषियों के अवतार थे. आइए जानते हैं कि महाभारत में कौन-किसका अवतार था.
श्रीकृष्ण
भगवान कृष्ण 64 कलाओं और 8 सिद्धियों से परिपूर्ण माने गए हैं. मान्यता है कि वे भगवान विष्णु के अवतार थे.
भीष्म
महाभारत में भीष्म पितामाह का अहम स्थान था. भीष्म पितामाह पांच वसुओं में से एक द्यु के यहां देवव्रत के रूप में जन्म लिया था.
द्रोणाचार्य
कौरवों-पांडवों के गुरु रहे द्रोणाचार्य बहुत अधिक शक्तिशाली और पराक्रमी योद्धा माने जाते हैं. मान्यता है कि देवगुरु बृहस्पति देव ने ही द्रोणाचार्य का अवतार लिया था.
कर्ण
कर्ण को सूर्य पुत्र कहा जाता है क्योंकि उनका जन्म सूर्य देव के आशीर्वाद से हुआ था. धार्मिक मान्यता है कि पूर्व जन्म में कर्ण एक असुर थे. यही कारण है कि इन्हें राजवंशी होने के बावजूद भी सिंहासन का सुख प्राप्त नहीं हुआ.
अश्वत्थामा
अश्वत्थामा को गुरु द्रोण का पुत्र माना जाता है. ये महाकाल, यम, क्रोध, काल के अंशों के रूप में जन्म लिए. महाभारत के युद्ध में पिता-पुत्र की इस जोड़ी ने बहुत कोहराम मचाया था.
द्रौपदी
द्रौपदी महाभारत की सबसे शक्तिशाली महिला पात्र थीं. मान्यता है कि इनका जन्म इंद्राणी के अवतार के रूप में हुआ था.
अर्जुन
अर्जुन को पांडु पुत्र माना जाता है, लेकिन असल में वे इन्द्र और कुंती के पुत्र थे. दानवीर कर्ण को इंद्र का अंश माना जाता है.
दुर्योधन
धृतराष्ट्र और गांधारी के सौ पुत्रों में सबसे बड़े पुत्र दुर्योधन ही थे. उनका मूल नाम सुयोधन था. परंतु कर्मों इनके कर्मों की वजह से इनकी पहचान दुर्योधन के रूप में हुई. मान्यता है कि दुर्योधन पुलस्त्य वंश के राक्षसों के अंश थे.