सूर्यदेव को जल चढ़ाते समय न करें ये गलतियां, करें इन नियमों का पालन

Update: 2023-10-01 08:25 GMT
रविवार का दिन सूर्यदेव की आराधना के लिए उत्तम माना जाता है। इस दिन सूर्यदेव की पूजा से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। व्यक्ति के जीवन में सूर्य का बहुत बड़ा योगदान होता है। कहा जाता है कि यदि कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत है, तो व्यक्ति को जीवन में खूब कामयाबी और यश की प्राप्ति होती है। वहीं यदि कुंडली में सूर्य की स्थिति ठीक नहीं है तो जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए रोजाना सुबह सूर्य को जल देना चाहिए। यदि आप रोजाना सूर्य को जल नहीं दे पा रहे हैं तो रविवार के दिन जरूर दें। सूर्य को अर्घ्य देने से भाग्योदय होता है और मान सम्मान में वृद्धि होती है। इसके अलावा यदि किसी कारण विवाह में देर हो रही है, तो नियमित सूर्य को जल देने से शीघ्र ही अच्छे रिश्ते आते हैं। लेकिन सूर्य को जल देते समय कुछ बातों का ध्यान रखाना चाहिए। आइए जानते हैं सूर्य देव को जल देते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए...
सूर्यदेव को जल अर्पित करने की विधि
सूर्य को जल प्रातः काल यानी सूर्योदय के समय ही चढ़ाएं। साथ ही सूर्यदेव को हमेशा तांबे के पात्र से ही जल अर्पित करें। सूर्य को जल चढ़ाते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। जल में रोली या फिर लाल चंदन मिलाकर ही सूर्य को जल अर्पित करें। इसके अलावा इस दौरान आप लाल फूल भी सूर्य देव को अर्पित कर सकते हैं।
सूर्य को अर्घ्य देने के लाभ
कहा जाता है कि रोजाना सूर्य को जल चढ़ाने से सूर्यदेव का प्रभाव शरीर में भी बढ़ता है। इससे आपके शरीर में ऊर्जा की वृर्द्धि होती है। साथ ही प्रतिदिन सूर्य को जल देने से आत्म शुद्धि और बल की प्राप्ति होती है। समाज में मान सम्मान भी बढ़ता है।
रविवार के दिन जल चढ़ाते समय सूर्यदेव के मंत्रों का जाप करना चाहिए। कहा जाता है कि सूर्य के इन मंत्रों के जाप से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और समाज में मान-सम्मान मिलता है।
सूर्य देव के मंत्र
ॐ घृणिं सूर्य्य: आदित्य:
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:
ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः
ॐ सूर्याय नम:
ॐ घृणि सूर्याय नम:
ॐ भास्कराय नमः
ॐ अर्काय नमः
ॐ सवित्रे नमः
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