आज वरद चतुर्थी के दिन शंकराचार्य रचित ये स्तुति करना न भूलें
गणेश पंचरत्न स्तुति शंकराचार्य द्वारा रचित है. मान्यता है कि ये स्तुति करने से गणपति बहुत प्रसन्न होते हैं और भक्त की हर मुराद को पूरा करते हैं. आज वरद चतुर्थी व्रत रखा जाएगा. इस दिन पूजा के दौरान इस स्तुति को जरूर करें.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पौष माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को वरद चतुर्थी (Varad Chaturthi 2022) के नाम से जाना जाता है. इस बार ये चतुर्थी तिथि आज 6 जनवरी 2022 को गुरुवार के दिन पड़ रही है. गणपति को विघ्नहर्ता माना जाता है. कहा जाता है कि यदि व्यक्ति गणपति की चतुर्थी तिथि का श्रद्धापूर्वक व्रत रखे तो उसके जीवन में आने वाले विघ्न दूर हो जाते हैं. ऐसे लोग जीवन में जो भी काम शुरू करते हैं, वो हर हाल में शुभ फलदायी साबित होते हैं.
गणपति बप्पा उनके परिवार को सद्बुद्धि प्रदान करते हैं, जिससे परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है. अगर आप भी गणपति का ये व्रत रखना चाहते हैं या रखने जा रहे हैं तो चतुर्थी की पूजा के दौरान लाल वस्त्र पहनें और गणपति की 'गणेश पंचरत्न स्तुति' करना न भूलें. ये स्तुति शंकराचार्य द्वारा रचित है. मान्यता है कि इसे करने से गणपति अत्यंत प्रसन्न होते हैं. ऐसे में भक्त की पूजा सफल हो जाती है और उसकी मनचाही कामना पूरी होती है.
ये है गणेश पंचरत्न स्तोत्र
मुदा करात्तमोदकं सदा विमुक्तिसाधकं कलाधरावतंसकं विलासिलोकरञ्जकम्,
अनायकैकनायकं विनाशितेभदैत्यकं नताशुभाशुनाशकं नमामि तं विनायकम्.
नतेतरातिभीकरं नवोदितार्कभास्वरं नमत्सुरारिनिर्जकं नताधिकापदुद्धरम्,
सुरेश्वरमं निधीश्वरं गजेश्वरं गणेश्वरं महेश्वरं तमाश्रये परात्परं निरन्तरम्.
समस्तलोकशंकरं निरस्तदैत्यकुञ्जरं दरेतरोदरं वरं वरेभवक्त्रमक्षरम्,
कृपाकरं क्षमाकरं मुदाकरं यशस्करं नमस्करं नमस्कृतां नमस्करोमि भास्वरम्.
अकिंचनार्तिमार्जनं चिरंतनोक्तिभाजनं पुरारिपूर्वनन्दनं सुरारिगर्वचर्वणम्,
प्रपञ्चनाशभीषणं धनंजयादिभूषणं कपोलदानवारणं भजे पुराणवारणम्.
नितान्तकान्तदन्तकान्तिमन्तकान्तकात्मजमचिन्त्यरुपमन्तहीनमन्तरायकृन्तनम्,
हृदन्तरे निरन्तरं वसन्तमेव योगिनां तमेकदन्तमेव तं विचिन्तयामि संततम्.
महागणेश पञ्चरत्नमादरेण योऽन्वहं प्रगायति प्रभातके हृदि स्मरन् गणेश्वरम्,
अरोगतामदोषतां सुसाहितीं सुपुत्रतां समाहितायुरष्टभूतिमभ्युपैति सोऽचिरात्.
ये है पूजा विधि
सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की साफ-सफाई करें. इसके बाद पानी में थोड़ा गंगा जल मिक्स करके स्नान करें. इसके बाद पीले या लाल सिंदूरी रंग के वस्त्र धारण करें और भगवान गणेश का व्रत का संकल्प लें. अब एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर गणपति की मूर्ति स्थापित करें और भगवान को हल्दी लगे अक्षत, पीले पुष्प, रोली, धूप, दीप और लड्डू अर्पित करें. गणपति के मंत्रों का जाप करें और व्रत कथा पढ़ें. दिन भर उपवास रखें. रात में चंद्र दर्शन करें और चंद्र को अर्घ्य दें. इसके बाद फलाहार करें. अगले दिन स्नान व पूजन के बाद व्रत का पारण करें. चतुर्थी पर गणपति की पूजा के लिए शुभ समय दिन में 11 बजकर 15 मिनट से लेकर दोपहर में 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगा.