द्वार की चौखट के नीचे वाली लकड़ी को आम बोलचाल की भाषा में देहरी, देहली और डेली कहते हैं परंतु सही शब्द है दहलीज़ या डेहरी। इसे द्वारपिंडी, ड्योढ़ी, बरोठा भी कहते हैं। वास्तु शास्त्र में इसका बहुत महत्व है। आओ जानते हैं इसके बारे में किए जाने वाले 5 निषेध कार्य।
वास्तु के अनुसार दहलीज़ टूटी-फूटी या खंडित नहीं होना चाहिए। बेतरतीब तरह से बनी दहलीज नहीं होना चाहिए यह भी वास्तुदोष निर्मित करती है। द्वार की देहली (डेली) बहुत ही मजबूत और सुंदर होना चाहिए। कई जगह दहलीज होती ही नहीं जो कि वास्तुदोष माना जाता है। कोई भी व्यक्ति हमारे घर में प्रवेश करे तो दहलीज लांघकर ही आ पाए। सीधे घर में प्रवेश न करें।
निषेध कार्य:
1. दहलीज पर पैर रखकर कभी खड़े नहीं होते हैं।
2. दहलीज पर कभी पैर नहीं पटकते हैं।
3. अपने गंदे पैर या चप्पल को रगड़कर साफ नहीं करते हैं।
4. दहलीज पर खड़े रहकर कभी किसी के चरण नहीं छूते हैं।
5. मेहमान का स्वागत या विदाई दहलीज पर खड़े रहकर नहीं करते हैं। स्वागत दहजलीज के अंदर से और विदाई दहलीज के बाहर खड़े रहकर करते हैं।