देवउठनी एकादशी व्रत आज, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Update: 2022-11-04 05:43 GMT

 हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी व्रत रखा जाता है। इस व्रत को प्रबोधनी एकादशी, देवोत्थान एकादशी, देवउठनी ग्यारस के नाम से भी जाना जाता है। इस साल देवउठनी एकादशी पर रवि योग भी बन रहा है। ऐसे में भगवान विष्णु की पूजा करने से विशेष लाभ मिलेगा। देवउठनी एकादशी को देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा उपासना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि एकादशी तिथि को सच्ची श्रद्धा और भक्ति भाव से भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा उपासना करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

देवउठनी एकादशी का शुभ मुहूर्त

देवउठनी एकादशी की तिथि गुरुवार 3 नवंबर को संध्याकाल में 7 बजकर 30 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 4 नवंबर को संध्याकाल 6 बजकर 8 मिनट पर समाप्त होगी। साधक 4 नवंबर को भगवान की पूजा उपासना कर उपवास रख सकते हैं। वहीं, 5 नवंबर को सुबह 8 बजकर 52 मिनट तक पारण कर सकते हैं।

देवउठनी एकादशी पूजा विधि

दशमी के दिन से ही लहसुन, प्याज समेत तामसिक भोजन का त्याग करें। अगले दिन यानी एकादशी को ब्रह्म मुहूर्त में उठें। नित्य कर्मों से निवृत होकर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इसके पश्चात, आमचन कर व्रत संकल्प लें। अब सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। फिर भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा फल, फूल, पुष्प, धूप, दीप, कपूर-बाती पीले मिष्ठान आदि से करें। अंत में आरती अर्चना करें। दिन भर उपवास रखें और संध्याकाल में आरती अर्चना करने के पश्चात फलाहार करें। दिन में एक बार फल और जल ग्रहण कर सकते हैं। 5 नवंबर को नित्य दिनों की तरह पूजा उपासना कर पारण करें। इसके बाद ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को अन्न दान कर भोजन ग्रहण करें।


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