हिंदू धर्म में जिस तरह सावन माह में पड़ने वाला सोमवार शिव को समर्पित होता हैं ठीक उसी तरह से सावन माह में पड़ने वाला मंगलवार मां गौरी की पूजा के लिए उत्तम समय होता हैं। इस दौरान भक्त देवी मां को समर्पित मंगला गौरी का व्रत पूजन करते हैं जो सावन के प्रत्येक मंगलवार पर किया जाता हैं।
ऐसे में अगर आपने भी मंगला गौरी का व्रत किया हैं, तो आज हम आपको मंगला गौरी व्रत उद्यापन की संपूर्ण विधि बता रहे हैं क्योंकि बिना उद्यापन के मंगला गौरी व्रत का फल प्राप्त नहीं होता हैं और ना ही ये व्रत पूर्ण माना जाता हैं, तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं उद्यापन की संपूर्ण विधि।
मंगला गौरी व्रत उद्यापन की विधि—
अगर आप मंगला गौरी व्रत का उद्यापन करना चाहते हैं तो उद्यापन वाले दिन सुबह उठकर स्नान आदि करें और लाल रंग के वस्त्र धारण कर उपवास रखें और गठजोड़े में पूजा करें एक लकड़ी की चौकी रखकर उसके चारों ओर केले के पत्ते बांध कर कलश की स्थापना करें अब कलश के उपर मंगला गौरी की स्वर्ण की प्रतिमा को स्थापित करें माता को सुहाग की सामग्री अर्पित करें।
फिर विधि विधान से पूजा अर्चना करें और व्रत कथा पढ़ें। पूजा के दौरान गणपति का स्मरण जरूर करें ‘श्रीमङ्गलागौर्यै नमः‘ और इस मंत्र का जाप कर आखिर में सोलह दीपों से आरती करें। पूजन पूर्ण होने के बाद पंडित और सोलह सुहागिन महिलाओं को भोजन कराएं। मान्यता है कि इस विधि से अगर व्रत का उद्यापन किया जाए तो सुख समृद्धि प्राप्त होती हैं।