चाणक्य : बुद्धिमान और साहसी होती हैं स्त्रियां
इतिहासकारों के मुताबिक चाणक्य का जीवनकाल 376 ईसा पूर्व से 283 ईसा पूर्व का है
इतिहासकारों के मुताबिक चाणक्य का जीवनकाल 376 ईसा पूर्व से 283 ईसा पूर्व का है. वे मौर्य वंश के सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे. उन्हें कौटिल्य या विष्णुगुप्त नाम से भी जाना जाता है. उन्होंने अर्थशास्त्र नामक ग्रंथ की रचना की थी. नाम से ऐसा लगता है कि यह पुस्तक अर्थशास्त्र के बारे में होगी, लेकिन यह अर्थ के साथ-साथ राजनीति, कूटनीति समाज, जीवन और मनुष्य के व्यवहार के बारे में भी है. चाणक्य तक्षशिला विश्वविद्यालय में आचार्य थे. उन्होंने भील और किरात समुदाय के राजकुमारों को प्रशिक्षण देने का भी काम किया.
चाणक्य के जीवन पर भी कम नहीं लिखा गया. उनकी किताब की व्याख्या से लेकर उनके बताए सिद्धांतों, विचारों और कूटनीति का विश्लेषण भी इतिहासकारों और विचारकों ने खूब किया है.
आइए आज हम आपको बताते हैं कि महिलाओं के बारे में चाणक्य अपने ग्रंथ में क्या लिखते हैं. उन्होंने महिलाओं को पुरुषों से चार चीजों में श्रेष्ठ बताया है. एक श्लोक में वे लिखते हैं-
स्त्रीणां दि्वगुण आहारो बुदि्धस्तासां चतुर्गुणा।
साहसं षड्गुणं चैव कामोष्टगुण उच्यते।
आहार
आचार्य चाणक्य जब लिखते हैं- 'स्त्रीणां दि्वगुण आहारो' तो उसका अर्थ है कि स्त्रियों की क्षुधा यानी आहार की भूख पुरुषेां के मुकाबले ज्यादा होती है. हालांकि इस बात का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है, लेकिन ऐसा अनुमान किया जा सकता है कि चूंकि महिलाओं पुरुषों के मुकाबले ज्यादा और निरंतर श्रम करती हैं तो उन्हें भोजन की भी ज्यादा आवश्यकता होती है. ऐतिहासिक रूप से पुरुष भारी-भरकम काम, जैसे युद्ध लड़ना या हल चलाना करते रहे हैं, लेकिन स्त्रियों के श्रम के घंटे और उसकी निरंतरता पुरुषों के मुकाबले कहीं ज्यादा होती है. संभवत: इसीलिए चाणक्य ने लिखा होगा कि आहार सेवन के मामले में स्त्रियां पुरुषों से श्रेष्ठ होती हैं.
बुद्धि
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि बुद्धि के मामले में भी स्त्रियां पुरुषों से उत्तम होती हैं. वो ज्यादा बुद्धिमान और समझदार होती हैं. भले ही देश चलाने जैसे बड़े-बड़े काम स्त्रियों के हिस्से में न आए हों, लेकिन परिवार चलाना भी कोई आसान काम नहीं है. उसके लिए सबसे ज्यादा धैर्य, विवेक, समझदारी और बुद्धिमत्ता की आवश्यकता होती है और उस मामले में स्त्रियां पुरुषों से श्रेष्ठ होती हैं. वैसे इतिहास गवाह है कि जब भी घर से बाहर की दुनिया की जिम्मेदारी उन्होंने संभाली, मर्दों से श्रेष्ठ प्रदर्शन ही किया है.
साहस
चाणक्य लिखते हैं कि स्त्रियां पुरुषों से ज्यादा साहसी होती हैं. हालांकि ये सुनकर कई मर्दों की भौंहें तन जाएंगी क्योंकि उन्हें लगता है कि जैसे हया स्त्री का गहना है, साहस उनका. लेकिन ये बात पूर्वाग्रहों से ग्रस्त है. सच तो ये है कि किसी भी संकट के समय स्त्रियां ज्यादा साहसी साबित होती हैं. मर्द बाहर से खुद को बहादुर दिखाते रहते हैं, लेकिन भीतर से वे बहुत कमजोर हाेते हैं.
कामुकता
इस श्लोक के आखिर में चाणक्य लिखते हैं, 'कामोष्टगुण उच्यते', जिसका अर्थ है कि कामुकता के मामले में भी स्त्रियां पुरुषों के मुकाबले श्रेष्ठ होती हैं. उनकी यौन इच्छा और क्षमता, दोनों पुरुषों से ज्यादा होती है. वो तो चूंकि ऐतिहासिक रूप से उनकी कामेच्छाओं को इतना नियंत्रित किया और दबाया गया है कि वह खुलकर खुद को अभिव्यक्त नहीं कर पातीं. लेकिन सच तो ये है कि प्रकृति ने उन्हें ऐसा नहीं बनाया. प्रकृति ने ज्यादा साहस और बुद्धि के साथ-साथ उन्हें ज्यादा यौन इच्छा भी दी है.