चाणक्य नीति : शत्रु और मित्र को लेकर चाणक्य ने बताई हैं ये चार बड़ी बातें

जीवन में सच्चा मित्र मिलना किस्मत की बात होती है. लेकिन कौन मित्र है और कौन शत्रु, ये पता लगाना आसान नहीं होता.

Update: 2021-10-17 01:03 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जीवन में सच्चा मित्र मिलना किस्मत की बात होती है. लेकिन कौन मित्र है और कौन शत्रु, ये पता लगाना आसान नहीं होता. इसलिए बहुत जल्दी हर किसी पर यकीन न करें. मित्रता और शत्रुता को लेकर आचार्य चाणक्य की कही बातें आपके लिए मददगार हो सकती हैं.

चाणक्य कहते हैं कि शत्रु की कमजोरी जानने तक उसे अपना मित्र बनाएं रहें. इससे शत्रु की दुर्बलता पता लगाने में आसानी हो जाती है.
बाहर से बहुत मीठा बोलने वाला व्यक्ति आपके लिए मित्र साबित हो जरूरी नहीं है, वो आपके लिए शत्रुता का भाव भी रख सकता है. इसलिए मीठे बोल में न फंसें. याद रहे मीठी सुगंध देने वाले चंदन में सर्प भी होते हैं.
दुराचारी, कुदृष्टि रखने वाले और बुरे स्थान पर रहने वाले व्यक्ति से भूलकर भी मित्रता नहीं करनी चाहिए. ऐसे लोग आपको ही नहीं आपके पूरे परिवार को मुसीबत में डाल देते हैं
अगर आप कामयाब होना चाहते हैं, तो आपको मित्रों की जरूरत होती है, क्योंकि बगैर सहयोग के कुछ नहीं होता. लेकिन अगर आप ज्यादा कामयाब होना चाहते हैं तो आपको शत्रुओं की जरूरत होती है, क्योंकि वो आपको आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं.


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