चाणक्य नीति : इन 4 लोगो को पैर से छूने से होगा नुकसान, नष्ट हो सकता है पूरा जीवन

अग्नि को शास्त्रों में भगवान का दर्जा दिया गया है. मान्यता है कि यज्ञ में प्रज्जलित होने वाली अग्नि के जरिए भी भगवान तक हमारा प्रसाद पहुंच पाता है.

Update: 2021-12-03 02:28 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अग्नि को शास्त्रों में भगवान का दर्जा दिया गया है. मान्यता है कि यज्ञ में प्रज्जलित होने वाली अग्नि के जरिए भी भगवान तक हमारा प्रसाद पहुंच पाता है. घर का शुद्धिकरण भी यज्ञ के जरिए ही किया जाता है. ऐसे में अग्नि बहुत पवित्र मानी गई है. इसे भूलकर भी पैर नहीं लगाना चाहिए. इसे देवी इसलिए अग्नि को कभी भी पैर नहीं लगाना चाहिए. अग्नि के अपमान को देवी देवताओं का अपमान माना जाता है. वहीं अग्नि अगर विकराल हो तो किसी को भी खाक कर सकती है. इसलिए अग्नि को दूर से ही प्रणाम करें.

गुरु और ब्राह्मण को शास्त्रों में पूज्यनीय और सम्माननीय माना गया है. इनसे हमें ज्ञान की प्राप्ति होती है. इनके चरणों को स्पर्श करके आशीर्वाद लेना चाहिए. कभी इन्हें पैर लगाने की गलती नहीं करनी चाहिए. इसे इनका अपमान माना जाता है.
शास्त्रों में कन्या को देवी का रूप माना गया है. वहीं बालक अबोध होता है और भगवान का स्वरूप कहलाता है. इसके अलावा वृद्धजनों को सम्माननीय माना जाता है. इस तरह कन्या, शिशु और वृद्ध तीनों ही सम्मान करने के अधिकारी हैं. इनका आशीर्वाद लेना चाहिए. इन्हें कभी पैर लगाने की गलती नहीं करनी चाहिए वरना व्यक्ति को दंड का अधिकारी बनना पड़ सकता है.
गाय को शास्त्रों में पूज्यनीय माना गया है. मान्यता है कि गाय में 33 कोटि देवताओं का वास होता है. जगत के पालनहार श्रीहरि को भी गाय अतिप्रिय हैं. इसलिए गाय की सेवा करनी चाहिए. उन्हें पैर लगाने से व्यक्ति पाप का अधिकारी बनता है. अथर्ववेद में तो गाय को पैर लगाने पर दण्ड का प्रावधान बताया गया है.


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