Chanakya Niti : जीवन में सफलता और कामयाब पाने के लिए, पशु-पक्षियों से जरूर सीखें प्राणी गुणों की ये बड़ी बातें
आचार्य चाणक्य के अनुसार आदमी को कहीं से भी अच्छे गुण सीखने को मिले तो उसे सीख लेना चाहिए फिर चाहे ये गुण किसी सिद्ध महात्मा, आम आदमी या फिर पशु.पक्षी से ही क्यों न मिले. आचार्य चाणक्य के अनुसार इस दुनिया में कोई भी ऐसा जीव नहीं है, जिसे ईश्वर ने गुणों के साथ पृथ्वी पर न भेजा हो. ऐसे में हमें उसके गुणों का आदर करते हुए उससे जीवन की बड़ी सीख लेनी चाहिए
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आचार्य चाणक्य के अनुसार आदमी को कहीं से भी अच्छे गुण सीखने को मिले तो उसे सीख लेना चाहिए फिर चाहे ये गुण किसी सिद्ध महात्मा, आम आदमी या फिर पशु.पक्षी से ही क्यों न मिले. आचार्य चाणक्य के अनुसार इस दुनिया में कोई भी ऐसा जीव नहीं है, जिसे ईश्वर ने गुणों के साथ पृथ्वी पर न भेजा हो. ऐसे में हमें उसके गुणों का आदर करते हुए उससे जीवन की बड़ी सीख लेनी चाहिए. आइए आचार्य चाणक्य द्वारा बताई गई उन बातों को जानते हैं, जिसमें उन्होंने पशु.पक्षियों द्वारा जीवन की बड़ी सीख लेने को बताया है .
शेर से सीखें ये खास गुण
प्रभूतं कार्यमल्पं वा यन्नरः कर्तुमिच्छति।
सरिंभे तत्कार्य सिंहादेकं प्रचक्षते।।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि इंसान को कुछ भी कार्य करे लेकिन उसे शेर की तरह अपना काम पूरी शक्ति और मन से करना चाहिए. शेर हमेशा अपना शिकार करते समय एक समान रूप से आक्रमण करता है. फिर चाहे उसका शिकार एक खरगोश हो या फिर कोई अन्य जंगली जानवर. वह अपनी पूरी ताकत से उस हमला करके उस पर विजय पाता है. चाणक्य के अनुसार हमें भूलकर भी किसी कार्य को अपनी क्षमता से कम नहीं आंकना चाहिए. ऐसा करने से खुद की कार्यक्षमता का ह्रास होता है.
बगुले से सीखें संयम
इंद्रियाणि च संयम्य बकवत् पंडितो नरः।
वेशकालबलं ज्ञात्वा सर्वकार्याणि साधयेत्।।
आचार्य चाणक्य के अनुसार हमें बगुले की तरह अपनी इंद्रियों का संयम करना चाहिए और हमेशा देश, काल तथा अपनी ताकत के अनुसार ही कार्य करना चाहिए.
मुर्गें से सीखें ये चार गुण
प्रत्युत्थानं च युद्ध च संविभागं च बन्धुषु।
स्व्यमाक्रम्य भुक्तं च शिक्षेच्चत्वारि कुक्कुटात्।।
आचार्य चाणक्य के अनुसार प्रतिदिन ब्रह्ममुहूर्त में उठना, किसी भी मुकाबले में पीछे न हटना, भाई.बंधुओं के साथ मिल.बांटकर खाना और स्वयं आक्रमण कर अपना भक्ष्य जुटाना, यह चार गुण मुर्गे से सीखने चाहिए.
कौए से सीखें पांच गुण
गूढ च मैथुन घास्टर्य काले काले च संग्रहम्।
अप्रमतविश्वासं पंच शिक्षेच्च वायसात्.।।
आचार्य चाणक्य के अनुसार किसी भी व्यक्ति को छिप कर मैथुन करना, घृष्टता, समय – समय पर संग्रह, निरंतर सावधान रहना, किसी पर विश्वास न करना, इन पांच गुणों को कौए से ग्रहण करना चाहिए.
कुत्ते से सीखें छह गुण
वहवाशी स्वल्पसंतुष्टः सुनिद्रो लघुचेतनः।
स्वामिभक्तश्च शूरश्च षडेते श्वानतो गुणाः।।
आचार्य चाणक्य के अनुसार खाने की अधिक क्षमता होने पर भी थोड़ा खा कर संतुष्ट होना, नींद गहरी होने के बावजूद आहट होते ही जाग जाना, स्वामी भक्ति व शूरवीरता इन छ: गुणों को हमें किसी भी कुत्ते से सीखना चाहिए.