चाणक्य नीति : व्यक्ति की बर्बादी का कारण बनती है उसकी ये 5 आदतें, फौरन कर देना चाहिए त्याग
आचार्य चाणक्य एक कुशल रणनीतिकार, नीतिशास्त्र और अर्थशास्त्री थे.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) एक कुशल रणनीतिकार, नीतिशास्त्र और अर्थशास्त्री थे. उनके द्वारा बताई गई बातें आज भी लोग मानते हैं. चाणक्य ने सूझबूझ और रणनीति से एक साधारण बालक को मग्ध राज्य का सम्रार्ट बनाया था. वे बहुत बड़े शिक्षक थे. उन्होंने कई सालों तक तक्षशिला के बच्चों को पढ़ाया था. चाणक्य ने कई किताबों और ग्रंथों को लिखा हैं. चाणक्य ने अपने जीवन के अनुभवों को श्लोकों के माध्यम से चाणक्य नीति में लिखा था. इस किताब में चाणक्य ने जीवन के तमाम पहलुओं का जिक्र किया है.
आज भी अगर कोई व्यक्ति चाणक्य नीति में लिखी बातों का अनुसरण करता है तो उसके जीवन में सफलता का मार्ग मिलता है. उनका जीवन त्याग, तेजस्विता. दृढ़ता, साहस और पुरूषार्थ का प्रतीक है. आचार्य चाणक्य के अनुसार, व्यक्ति की बुरी आदतें उसे तबाह कर देती हैं. आइए जानते हैं इन आदतों के बारे में.
1. गलत तरीके से कमाया धन – चाणक्य के अनुसार जो लोग गलत तरीके से धन कामते हैं उनके पास ज्यादा दिन तक पैसा नहीं टिकता है. ऐसे लोग परेशानी के समय में जल्दी घिर जाते हैं और गलत तरीके से कमाया धन बर्बाद हो जाता है.
2. अधिक समय तक सोते रहना – कुछ लोग बहुत देर तक सोते रहते हैं. ऐसे लोगों के घर में कभी भी माता लक्ष्मी का वास नहीं होता है. चाणक्य कहते हैं कि अगर कोई व्यक्ति सूर्योदय के बाद भी देर तक सोए रहता है तो हमेशा दरिद्रता छाई रहती हैं. ऐसे लोगों को अक्सर पैसों की कमी रहती है.
3. अधिक भोजन हानिकारक – आचार्य चाणक्य के अनुसार अगर कोई व्यक्ति जरूरत से ज्यादा भोजन करता है तो ऐसे लोग हमेशा दरिद्रर रहते हैं. जरूरत से अधिक भोजन का उपयोग गरीबी लाता है और ऐसे व्यक्ति कभी स्वस्थ भी नहीं रहते हैं.
4. कठोर वाणी – आचार्य चाणक्य के अनुसार जिस व्यक्ति की वाणी में कठोरता होती हैं उनके घर में माता लक्ष्मी का वास नहीं होता है. चाणक्य कहते हैं जो लोग अपनी वाण से दूसरों को दुख पहुंचाते हैं उनसे माता लक्ष्मी भी रूठ जाती हैं. ऐसे लोग हमेशा गरीह रहते हैं.
5. साफ- सफाई न रखना – शास्त्रों में इसका जिक्र है कि जहां साफ-सफाई नहीं होती है वहां मां लक्ष्मी का वास होता है. जो लोग साफ- सफाई नहीं रखते हैं उनसे माता लक्ष्मी रूठ जाती हैं जिस कारण द्ररिद हो जाते हैं.