चाणक्य नीति : जो व्यक्ति इन गुणों से होता है संपन्न, उसे समाज में मिलता है खूब मान-सम्मान

हर शख्स समाज में मान-सम्मान प्राप्त करना चाहता है. लेकिन मान-सम्मान प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को अपने अंदर उन गुणों को विकसित करना पड़ता है जो उसके बेहतर व्यक्तित्व का निर्माण करें और लोग आपसे मिलते ही आपके कायल हो जाएं.

Update: 2022-06-09 03:15 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हर शख्स समाज में मान-सम्मान प्राप्त करना चाहता है. लेकिन मान-सम्मान प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को अपने अंदर उन गुणों को विकसित करना पड़ता है जो उसके बेहतर व्यक्तित्व का निर्माण करें और लोग आपसे मिलते ही आपके कायल हो जाएं. आचार्य चाणक्य ने भी ऐसे कुछ गुणों का जिक्र किया है.

आचार्य ने गुणों का बखान करते हुए कहा है कि पहला गुण विनम्रता का है. पहली बार जब आप किसी से मिलते हैं, तो आपका लहजा सामने वाले के दिमाग में एक छाप को छोड़ता है. विनम्रता से आप किसी का भी दिल जीत सकते हैं. इसलिए अपने अंदर विनम्रता का गुण जरूर विकसित करें. विनम्रता हमेशा सम्मान दिलाती है.
दूसरा गुण है अनुशासन. किसी भी काम को पूरे अनुशासन के साथ करें. इससे आपका काम भी समय से पूरा होगा और आप अपने आसपास के लोगों को भी इसका महत्व बताने में सक्षम होंगे. जब आप लोगों के प्रेरणास्रोत बनेंगे तो मान-सम्मान भी जरूर पाएंगे.
तीसरा गुण है झूठ न बोलना. परिस्थितियां चाहे जो भी हों, कभी झूठ का सहारा न लें. बात बात पर झूठ बोलने वाले कभी किसी का भरोसा नहीं जीत सकते. अगर मान-सम्मान प्राप्त करना है, तो अपनी बातों पर टिके रहना सीखें और झूठ से बचें.
चौथा गुण है कभी किसी के विषय में कुछ गलत न कहना. कुछ लोगों की पीठ पीछे बुराई करने की आदत होती है. ऐसे में जब उन लोगों को इस विषय में पता चलता है कि आप उनके बारे में क्या सोचते हैं, तो इससे आपके ही मान-सम्मान में कमी आती है. इसलिए कभी किसी की बुराई न करें. ध्यान रखें अच्छाई और बुराई सभी में होती है, लेकिन आप उसकी अच्छाइयों को याद रखें, बुराइयों को नहीं.
पांचवां गुण है लालच न करना. आपके पास जो कुछ भी है, उसमें संतुष्ट रहना सीखें. कभी किसी दूसरे की चीजों पर अपनी नजर न डालें. लालच करने वाले को कभी सम्मान की नजर से नहीं देखा जाता. इसलिए हमेशा ऐसा करने से बचें.
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