चाणक्य नीति : हर व्यक्ति को इन दो आदतों को बदल लेना चाहिए वरना आपका प्रताड़ित होना तय है

आचार्य चाणक्य ने कहा है कि व्यक्ति को कभी अपने ऊपर प्रयोग करके नहीं सीखना चाहिए, बल्कि दूसरों के अनुभवों से सीख ले लेनी चाहिए.

Update: 2021-10-21 01:18 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आचार्य चाणक्य ने कहा है कि व्यक्ति को कभी अपने ऊपर प्रयोग करके नहीं सीखना चाहिए, बल्कि दूसरों के अनुभवों से सीख ले लेनी चाहिए. अगर अपने ऊपर प्रयोग करके सीखने की कोशिश करेंगे तो आयु बहुत कम पड़ जाएगी. आचार्य की इस बात का सीधा सा मतलब ये है कि अगर वाकई जीवन में बड़े काम करने हैं, बड़े लक्ष्य को प्राप्त करना है, तो दूसरों की गलतियों से सबक लेना सीखो, खुद गड्ढे में गिरने का इंतजार न करो, वरना जीवन में लक्ष्य अधूरा ही रहेगा.

अगर आप भी अपने जीवन में तमाम समस्याओं से बचकर अपने लक्ष्य तक पहुंचना चाहते हैं, तो आचार्य की कुछ बातों को गांठ बांध लें. अपने ग्रंथ नीति शास्त्र में आचार्य चाणक्य ने लोगों के बेहतर भविष्य और कल्याण के लिए ऐसी बातें लिखी हैं जो आज के दौर में भी प्रासंगिक हैं. ये गूढ़ बातें कदम कदम पर आपके लिए मददगार साबित हो सकती हैं. यहां जानिए उन दो आदतों के बारे में, जिन्हें आचार्य ने हर हाल में बदलने की हिदायत दी है, वरना आपका प्रताड़ित होना तय है.
1. 'जिस प्रकार सीधे खड़े पेड़ को सबसे पहले काटा जाता है, ठीक उसी प्रकार सीधे इंसान को सबसे पहले ठगा जाता है ' -आचार्य चाणक्य
आचार्य का मानना था कि व्यक्ति को व्यवहार से इतना सीधा और सरल नहीं होना चाहिए कि लोग आपका फायदा उठाने लगें. ऐसे लोग बेशक खुद बहुत अच्छे हैं, लेकिन ये दुनिया उनके जैसी नहीं होती. इसलिए हर व्यक्ति में दुनिया में मौजूद धोखेबाज और चालबाज लोगों से खुद को और परिवार को बचाने की क्षमता जरूर होनी चाहिए. अगर आप अपने सीधेपन के स्वभाव को नहीं बदलेंगे तो लोग आपका फायदा उठाएंगे. कदम कदम पर आपको परेशान करेंगे और मूर्ख बनाएंगे. इसका खामियाजा आपके परिवार को भी भुगतना पड़ेगा. याद रखिए कि जो पेड़ एकदम सीधा होता है, सबसे पहले उसी को काटा जाता है. इसी तरह सीधे इंसान को भी हर कदम पर ठगा जाता है. इसलिए इतने सीधे न बनें कि कोई आपके जीवन को परेशानी में डाल दे.
2. 'किसी को ये महसूस न होने दो कि आप अंदर से टूटे हुए हो क्योंकि लोग टूटे हुए मकान की ईंटें तक उठा ले जाते हैं ' – आचार्य चाणक्य
आचार्य का मानना था कि आप पर चाहे कितना बड़ा मुश्किलों का पहाड़ टूटा हो, आप चाहे अंदर से कितने ही दुखी क्यों न हों, लेकिन कभी किसी को अपने मन की स्थिति न बताएं. असल जिंदगी में बहुत कम लोग ही होते हैं, जो आपकी इस तकलीफ को समझ पाते हैं. वास्तव में लोग जब आपकी मन की कमजोरी को समझ जाते हैं, तो सिर्फ और सिर्फ उसका फायदा उठाने की कोशिश करते हैं. आचार्य का मानना था कि टूटे मकान से लोग ईंटें तक उठा ले जाते हैं, तो आपकी कमजोर मन: स्थिति में वो आपके जीवन को तहस नहस कर सकते हैं. हालांकि ये भी सच है कि सभी लोग ऐसे नहीं होते. लेकिन कौन आपका अपना है और कौन पराया, इसकी परख समय के साथ होती है. जब तक आपको किसी पर पूरा भरोसा न हो, तब तक अपना दुख किसी से न कहें. वरना आपके लिए समस्याओं की कमी नहीं रहेगी.


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