सावन स्कंद षष्ठी व्रत पर बना शुभ योग, जानें शुभ मुहूर्त और मंत्र

श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को स्कंद षष्ठी का व्रत रखा जाता है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के ज्येष्ठ पुत्र भगवान कार्तिकेय को समर्पित है। भगवान स्कंद को मुरुगन,कार्तिकेयन, सुब्रमण्यम के नाम से भी जाना जाता है।

Update: 2022-08-03 03:53 GMT

 श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को स्कंद षष्ठी का व्रत रखा जाता है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के ज्येष्ठ पुत्र भगवान कार्तिकेय को समर्पित है। भगवान स्कंद को मुरुगन,कार्तिकेयन, सुब्रमण्यम के नाम से भी जाना जाता है। सावन में पड़ने वाली स्कंद षष्ठी का काफी अधिक महत्व है। इस दिन कार्तिकेय भगवान की विधिवत पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इसके साथ ही संतान प्राप्ति का सुख प्राप्त होता है। सावन में पड़ने वाले स्कंद षष्ठी में काफी शुभ योग बन रहा है। जानिए स्कन्द षष्ठी व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

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स्कंद षष्ठी व्रत का शुभ मुहूर्त

श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि का प्रारंभ: 03 अगस्त को सुबह 05 बजकर 41 मिनट पर

श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि समाप्त: 04 अगस्त को सुबह 05 बजकर 40 मिनट पर

सिद्ध योग- 2 अगस्त को शाम 6 बजकर 37 मिनट से शाम 5 बजकर 48 मिनट तक

सर्वार्थ सिद्धि योग - 3 अगस्त सुबह 05 बजकर 38 मिनट से शाम 06 बजकर 24 मिनट तक

स्कंद षष्ठी व्रत की पूजा विधि

इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान आदि कर लें और साफ व्रत धारण कर लें।

भगवान कार्तिकेय का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प ले लें।

पूजा घर में जाकर विधिवत तरीके से पूजा करें। सबसे पहले भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें।

इसके बाद भगवान कार्तिकेय की पूजा करें।

सबसे पहले थोड़ा सा जल अर्पित करें।

भगवान को पुष्प, माला, फल, मेवा, कलेवा, सिंदूर, अक्षत, चंदन आदि लगाएं।

अब भोग लगाएं।

फिर दीपक-धूप करके मंत्र का जाप करें।

अंत में विधिवत तरीके से आरती करते भूल चूक के लिए माफी मांग लें।

मंत्र

देव सेनापते स्कंद कार्तिकेय भवोद्भव।

कुमार गुह गांगेय शक्तिहस्त नमोस्तु ते॥


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