उत्तर भारत में ज्येष्ठ मास की अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत रखा जाता है. वट सावित्री व्रत पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखा जाता है. इस दिन विवाहित महिलाएं निर्जल व्रत रखती हैं और बरगद के पेड़ और देवी सावित्री की पूजा करती हैं. वट सावित्री व्रत के दिन शनि जयंती भी मनाई जाती है. व्रत रखने वालों पर शनिदेव की कृपा भी बनी रहेगी. आइये जानते हैं वट सावित्री व्रत का – सबसे अच्छा मुहूर्त कौन सा है?
वट सावित्री व्रत 2023 पूजा मुहूर्त
वट सावित्री व्रत के दिन सुबह से ही पूजा का शुभ मुहूर्त है. अमृत पूजा – श्रेष्ठ मुहूर्त सुबह 08 बजकर 15 मिनट से 09 बजकर 56 मिनट तक है. उसके बाद शुभ दिन सुबह 11 बजकर 37 मिनट से दोपहर 01 बजकर 18 मिनट तक है. जो महिलाएं सुबह पूजा करना चाहती हैं वो सुबह 04 बजकर 53 मिनट से 08 बजकर 15 मिनट के बीच पूजा कर सकती हैं. इसमें लाभ-उन्नति का मुहूर्त सुबह 06 बजकर 34 मिनट से 08 बजकर 15 मिनट तक है.
वट सावित्री व्रत का महत्व
पौराणिक कथा के अनुसार सावित्री का पति सत्यवान जंगल में लकड़ी काटने गया था, इसी दौरान यमराज ने उसके प्राण ले लिए और यमलोक जाने लगे. वहां सावित्री भी थी. वे भी यमराज के पीछे जाने लगीं. यमराज ने उसे रोका, लेकिन वह अपने पति के प्राण वापस लिए बिना जाने को तैयार नहीं हुई.
वह यमराज से अपने पति के प्राण वापस लेने में सफल रही, जिससे सत्यवान को वापस जीवन मिला. उस दिन ज्येष्ठ अमावस्या तिथि थी. इस घटना के बाद विवाहित महिलाएं हर साल ज्येष्ठ अमावस्या को वट सावित्री व्रत करने लगीं. मृत्यु के समय सत्यवान बरगद के पेड़ के नीचे लेटा हुआ था. इस व्रत में बरगद के पेड़ और सावित्री की पूजा करते हैं और कथा सुनते हैं. इस व्रत को करने से अखंड सौभाग्य की कृपा प्राप्त होती है और पति दीर्घायु होता है.