ज्योतिष विशेषज्ञों का मानना है कि इन 4 राशियों के लोग बहुत कड़वा बोलते हैं, लेकिन दिल के सच्चे होते हैं…

ज्योतिष विशेषज्ञों का मानना है कि व्यक्ति की राशि का असर उसके पूरे जीवन पर पड़ता है क्योंकि हर राशि का एक स्वामी ग्रह होता है. उस ग्रह के स्वभाव का असर व्यक्ति के पूरे व्यक्तित्व पर पड़ता है.

Update: 2021-07-19 05:55 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। वैसे तो गुस्सा एक नेचुरल इमोशन है. हर व्यक्ति को कभी न कभी किसी बात पर गुस्सा आता ही है. लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें बात बात पर गुस्सा आता है. छोटी सी बात पर ही पारा सिर पर चढ़ जाता है. ज्यादातर लोगों में ये स्वभाव जन्म से ही होता है. ज्योतिष विशेषज्ञों का मानना है कि व्यक्ति की राशि का असर उसके पूरे जीवन पर पड़ता है क्योंकि हर राशि का एक स्वामी ग्रह होता है. उस ग्रह के स्वभाव का असर व्यक्ति के पूरे व्यक्तित्व पर पड़ता है. ज्योतिष के अनुसार कुछ राशि के लोग बहुत गुस्सैल होते हैं और मुंह से बहुत कड़वा बोलते हैं. लेकिन इन लोगों का दिल साफ होता है. जानिए उन राशियों के बारे में.

वृषभ : वृषभ राशि के लोग काफी जिद्दी और गुस्सैल स्वभाव होते हैं. इन लोगों को जब गुस्सा आता है तो ये लोग बहुत आक्रामक हो जाते हैं. ऐसे में ये लोग सिर्फ अपनी ही एक तरफा बात करते हैं और जोर जोर से चिल्लाना शुरू कर देते हैं. हालांकि इनका गुस्सा जब शांत होता है तब इन्हें अपनी गलती का अहसास भी हो जाता है. ऐसे लोग जब गुस्से में हों, तो आप इनसे बहस न करें.
सिंह : सिंह राशि के लोग हर मुद्दे पर अपनी अलग राय रखते हैं. इन लोगों की आदत होती है कि ये खुद को ही सही मानते हैं. कोई इनका काट करे तो ये गुस्से में आ जाते हैं और बहस करने लगते हैं. बोलते समय इनका जुबां पर जो कुछ भी आए ये बोल देते हैं. गुस्से में इन्हें इस बात का अहसास ही नहीं होता कि ये कितना गलत बोल गए हैं. इसलिए इनसे बात हमेशा सबूत के साथ ही करना चाहिए.
वृश्चिक : इस राशि के लोग जल्दी गुस्सा नहीं करते, ये अपने गुस्से को मन में दबाकर रखते हैं.
लेकिन जब इनका गुस्सा फूटता है तो ये नियंत्रण से बाहर हो जाते हैं. ऐसे में ये कुछ भी अनाप शनाप बोलते हैं और किसी की भी बेज्जती करते हैं.
धनु : ये राशि अग्नि की राशि होती है. इस राशि के लोगों का गुस्सा बहुत ज्यादा तेज हो जाता है और ऐसे में ये लोग बहुत गलती कर बैठते हैं. हालांकि जब इनका गुस्सा शांत होता है तो इन्हें अपनी गलती का पूरा अहसास हो जाता है. इस तरह का व्यवहार बिल्कुल भी स्वीकार नहीं किया जा सकता है.
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)


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