जानवरों को भूकंप और सुनामी जैसे विनाशकारी तूफान का हो जाता है आभास
जानवरों को प्राकृतिक विपदा या अन्य किसी भी तरह की विपदाओं का पहले से ही आाभास हो जाता है।
पशु, पक्षु और अन्य जानवरों को प्राकृतिक विपदा या अन्य किसी भी तरह की विपदाओं का पहले से ही आाभास हो जाता है। कहते हैं कि जानवरों में सूंघने और स्थिति को भांपने की शक्ति बहुत ही तेज होती है। जीव-विज्ञानी बताते हैं कि भविष्य में होने वाली घटना के संकेत पाने के लिए या भविष्य में होने वाली घटनाओं को सूंघने के लिए बहुत से जानवरों में संवेदी अंग पाए जाते हैं। इन अंगों की वजह से उन्हें किसी भी बड़ी घटना की सूचना पहले ही मिल जाती है।
आओ जानते हैं कि इस संबंध में रोचक जानकारी।
* मान्यता अनुसार जिस घर में काले चूहों की संख्या अधिक हो जाती है वहां किसी व्याधि के अचानक होने का अंदेशा रहता है। यह भी माना जाता है कि यदि घर में काले रंग के चूहे बहुत अधिक तादाद में दिन और रात भर घूमते रहते हो तो, समझ लीजिए कि किसी रोग या शत्रु का आक्रमण होने वाला है।
* यह बड़ा ही अजीब है कि चूहों का घर में होना अशुभ माना जाता है लेकिन छछूंदरें हैं तो वह शुभ है। कहते हैं कि जिस भवन में छछूंदरें घूमती हैं वहां लक्ष्मी की वृद्धि होती है।
* घर में मूषक (चूहा), पतंगा, पिपीलिका, मधुमक्खी, दीमक तथा सूक्ष्म कीटों का प्रकट होना अमंगल का सूचक है।
* सांपों में किसी भी भूकंप और सुनामी जैसे विनाशकारी तूफान के बारे में जानकारी देने की क्षमता होती है। सांप अपने जबड़े के निचले हिस्से को जमीन से लगाकर धरती से उठने वाली तरंगों और सूक्ष्म हलचल को महसूस कर लेता है। भूकंप का अहसास होते ही संप अपना बिल छोड़कर बाहर आ जाता है क्योंकि वह जानता है कि बिल भी ढह सकता है।वैज्ञानिकों का कहना है कि ज्यादातर जानवर पृथ्वी से आने वाली तरंगों के आधार पर और हलचल की आवाज को सुनकर ही भविष्य के प्रति सतर्क हो जाने को आगाह करते हैं।
* सांपों की तरह ही मेंढकों को भी भूकंप का पता चल जाता है। यदि सभी मेंढक एक साथ तालाब को छोड़कर पलायन कर जाए तो समझ लो की भूकंप आने वाला है। मेंढकों के समान या उनकी ही एक प्रजाति भेक को भूकंप से पहले आश्चर्यजनक रूप से पूरे समूह के साथ गायब होते पाया गया है। जहां भी भूकंप आया, वहां लगभग 3 दिन पहले से सारे भेक जादुई तरीके से गायब हो गए।
* पशु, पक्षियों और रेंगने वाले जंतुओं को कई दिन पहले ही भूस्खलन, भूकंप आने या ज्वालामुखी के फूटने का पता चलता जाता है। वह ऐसा स्थान छोड़कर पहले ही चले जाते हैं। मानव इनके विचित्र व्यवहार को समझ नहीं पाता है। यदि मानव इन्हें समझ ले तो वह भी प्राकृतिक आपदाओं से बच सकता है।
* भूकंप आने से कुछ मिनट पहले राजहंस पक्षी एक समूह में जमा होते देखे गए हैं, तो बतखें डर के मारे पानी में उतरती पाई गई हैं। इतना ही नहीं, मोरों को झुंड बनाकर बेतहाशा चीखते हुए पाया गया है। विश्व में जहां भी जानवरों में इस तरह के बदलाव देखे गए हैं, वहां इसके कुछ मिनट बाद ही बड़ी भयंकर तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया है। कुछ पक्षियों का व्यवहार विचित्र होते हुए देखा गया है। जैसे वे बार बार वृक्ष पर बैठकर पुन: भूमि पर बैठ जाते हैं। उन्हें समझ में नहीं आता है कि हम कहां सुरक्षित रहेंगे।
* अमेरिका के पश्चिमी द्वीप समूह में माउंट पीरो नामक पर्वत है। इस पर्वत से एक दिन अचानक ज्वालामुखी फूट पड़ा। चारों तरफ दहकते अंगारे फैलने लगे, पर्वत के टुकड़े-टुकड़े हो गए। माना जाता है कि इस प्राकृतिक आपदा में लगभग तीस हजार लोग काल के गाल में समा गए। जो लोग इस घटना के बाद जीवित रह गए उनका कहना था कि यहां के पशु-पक्षी काफी दिनों से रात में खूब रोते थे। पशु-पक्षियों ने यहां से अपना बसेरा बदल लिया था। अमेरिका में तो इस तरह की कहावतें कही जाती हैं कि मौसम की सबसे सटीक भविष्यवाणी मौसम विभाग नहीं हेजहॉग करता है।
* मछलियां भी समुद्र में सुनामी या भूकंप के आने का पहले ही पता चल जाता है। वे भूकंप की तरंगों को बड़ी तीव्रता से पकड़ती हैं और वह उसके केंद्र से पहले ही बहुत दूर निकल जाती है। माना जाता है कि समुद्र की गहराई में रहने वाली ओरफिश भूकंप को महसूस करने में सबसे तेज होती है। रिबन की तरह दिखने वाली, लगभग 5 मीटर लंबी, डरावने मुंह वाली यह मछली आमतौर पर समुद्र के किनारों पर नहीं आती, पर भूकंप के समय इसे तटों पर पाया गया है। वैज्ञानिकों ने पाया है कि इनके किनारों पर पाए जाने के बाद जो भूकंप आया, उसकी तीव्रता 7.5 से अधिक रही है।